राजनेताओं ने कृष्ण की जन्म स्थली और लीला स्थली में किया भेदभाव, बृज की जड़ मथुरा पंचकोसी की अनदेखी आखिर कब तक

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गोपाल चतुर्वेदी

 

सनातन धर्म की सप्त पुरियों में शामिल मथुरा।

धार्मिक मान्यताओं के तहत आदि गया के रूप में प्रसिद्ध मथुरा।

मनुष्य के प्रमुख चार संस्कारों में से किसी एक संस्कार पर मुक्ति देने वाली मथुरा।

संसार से मुक्त करने वाली मुक्ति को भी मुक्ति देने वाली मथुरा।

भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली पंचकोसी मथुरा।

 

यूँ तो सनातन धर्म में प्रमुख तीर्थ है लेकिन भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार की दृष्टि में तीर्थ स्थल नहीं, तभी तो हालात इस पंचकोसी क्षेत्र के बद से बदत्तर है। जिस पंचकोसी मथुरा ने मधु और लवणासुर से कंस तक तमाम राक्षसो के प्रकोपों को झेलकर अपनी महत्त्वता बरकरार रखी,तो वही मुगल और अंग्रेजो समेत तमाम आक्रांताओ के द्वारा दिये दंश को सहते हुए कई मर्तबा बसने और उजड़ने का खेल हंसकर खेला वो पंचकोसी मथुरा आज अपनो से ही ठगी महसूस कर रही है। जो पार्टी भारत और भारतीयता का दावा करती है,उस पार्टी को इस पंचकोसी मथुरा के निवासीयो ने यही सोचकर समर्थन दिया कि शायद वह इस विषय में कुछ करेंगे।

इसी लिए मथुरा निगम से मेयर पद पर बीजेपी के मुकेश आर्यबन्धु, जनपद की पांच विधान सभा सीट से चार बीजेपी को जिताई। मथुरा से श्रीकांत शर्मा, बीजेपी, छाता से चौधरी लक्ष्मी नारायण,बल्देव से पूरन प्रकाश, गोवर्धन से कारिंदा बीजेपी के विधयक बने,और चौधरी लक्ष्मी नारायण और श्री कांत शर्मा, यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री है। इसके अलावा मथुरा ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर विधायक/मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण की पत्नी ममता चौधरी को बीजेपी से जीत दी। सांसद भी बीजेपी से हेमा मालिनी को बनाया। इतना सहयोग मथुरा ने बीजेपी को दिया,और ये भी सर्वविदित है कि यूपी और केंद्र में योगी और मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की पूर्ण बहुमत सरकार है। लेकिन दुख और आश्चर्य इस बात का है।

इस सबके बाद भी मथुरा पंचकोसी को कुछ भी अभी तक हासिल नही हुआ।ताज्जुब तो इस बात का है कि किसी लोकल नेता ने भी बृज की जड़ मथुरा पंचकोसी के उत्थान और इसके महत्व के विषय में कोई बात नही की।स्तिथी ये है कि राजनेताओं ने अपनी शतरंज की विसात पर कृष्ण की जन्म स्थली और लीला स्थलियों में भी भेद कर डाला है। जिसका प्रमाण भी स्पस्ट है।

यानि कृष्ण की लीला स्थली  वृन्दावन और बरसाना आदि को तीर्थ स्थल का दर्जा राज्य सरकार दे चुकी है,लेकिन कृष्ण की जन्म स्थली को नही। मथुरा पंचकोसी के वर्तमान हालात क्या है ये तो इस नगरी के भृमण पर देखे जा सकते मथुरा,पंचकोसी की परिक्रमा विकास की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है। कुलमिलाकर मथुरा पंचकोसी को उसके महत्व का स्थान अभी नही तो फिर कब ये यक्ष प्रश्न बन गया है।

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