महाराष्ट्र के एक जिला एवं सत्र न्यायाधीश सहित 4 लोगों के विरुद्ध रिपोर्ट, जमानत के ऐवज में 5 लाख रुपए मांगी रिश्वत
भक्तन की मुक्ति, लुटेरन की नॉंय- मुक्ति कहै गोपाल सौं- मेरी मुक्ति बताय? ब्रज रज उर मस्तक लगै, मुक्ति मुक्त है जाय।
अखिल ब्रह्मांड नायक योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा बंसीवारे की राजधानी, मुक्ति भी यहॉं भरती पानी!
सेटेलाइट चैनल मलिक ने बंसीवारे को बुलाया- राजधानी से चैनल चला मेरे भाया, बंसीवारे ने कहा- मेरी मथुरा राजधानी
ताज़ा सच्ची कहानी- देश-दुनिया ही नहीं अखिल ब्रह्मांड का सब खेल मथुरा से है, सबसे बड़ा खिलाड़ी मथुरा का जो है।
सरस भोगा गया सत्य- सच्चे संत अपने मन में किसी बात का सिर्फ विचार भी कर लेते हैं तो वह होकर ही रहती है।
राजनीतिक दलों को समर्पित- चांद-तारों से बड़ा अपना गगन होता है, फूल-कलियों से बड़ा अपना चमन होता है।
मज़हब-धर्मों के लिए देश तोड़ने वालों, मन्दिर-मस्ज़िद से बड़ा अपना वतन होता है- अंजलि भारद्वाज युवा कवयित्री
जो भरा नहीं है भावों से, जिसमें बहती रसधार नहीं, वह हृदय नहीं पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं- राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त
बंसी वारा करता हर बंसी वारे का मूल्यांकन- "बता तू कौन सा फूल है?" कुछ महक भी है या सिर्फ़ कागज़ का फूल है?
फूल कई प्रकार के होते हैं और फूल-फूल में अंतर होता है, फूल का अर्थ पुष्प है, मगर फूल का अर्थ मूर्ख भी होता है!
ज़िंदगी के कुछ उसूल बना लो, फिर भले मार्ग में खड़े शूल हों, आप उनसे ऐसे निकल जाओगे, जैसे रास्ते में बिखरे फूल हों।
आज का ताज़ा शेर- ज़िंदगी के कुछ उसूल बना लो, फिर भले मार्ग में खड़े शूल हों। आप उनसे ऐसे निकल जाएंगे, जैसे वे रास्ते में बिखरे फूल हों।
उसूल कौन से बनाए जाएं? चाहो तो बना लो, बने बनाए भी उपलब्ध- "अच्छे उसूल अपनाओ, ज़िंदगी सफल बनाओ।"
सबसे पहले सत्य को उसूल बनाओ, सत्य होगा, तभी दूसरा उसूल आएगा, ऐसे ही तीसरा और अन्य उसूल आ जाएंगे।
दूसरा उसूल यह बना लो कि मुझे सत्य से कोई डिगाएगा, तब भी मैं डिगूंगा नहीं, ऐसे ही ईमानदारी उसूल बना लो।
ज़िंदगी के अच्छे उसूल बनाने ही पड़ते हैं, जीवन के फूल बन जाते हैं उसूल और ज़िंदगी को महकाकर रख देते हैं।
जीवन एक कैलेंडर, आने की ही नहीं, जाने भी की तिथि तय, ग्रह-नक्षत्र, तिथि-वार, त्योहार सब कुछ पूर्व निर्धारित
इंसान के हाथ कर्म, इस जन्म के कर्मों से बनेगा आगे का प्रारब्ध, कर्म हो सुकर्म और सुधर्म वाला, करते यह प्रार्थना
काटने वाला भी वही है, कटवाने वाला भी वही है, ज्ञानी सब जानते, सबका मालिक एक, जग का मालिक एक- बंसीवारा
"करी गोपाल" की सब होय, जो रच राखी नंद नंदन नै, मैट सकै नहीं कोय, जो अपनौ पुरुषारथ मानै अति झूठौ है सोय
अर्थात् "जो प्रभु ने रच रखा है, वही होता है, अगर कोई अपना पुरुषार्थ मानता है तो वह बहुत बड़ा झूठा है।"
जवाहर बाग़ में जमे रामवृक्ष ने वृक्ष पर बंसी वारे का फोटो लगा रखा इनाम, तत्कालीन डीएम राजेश कुमार ने बताया
करने/कराने वाला सब बंसीवारा, कंस वारे बंसी वारे के पीछे पड़ जाते, ज़िंदा या मुर्दा पकड़कर लाने पर 1 लाख इनाम
रामवृक्ष यादव के ऊपर भी सरकार के असरदार का ही हाथ बताया गया था, आखिरकार सरकार को उसे उखाड़ना पड़ा
समझाने पर रामवृक्ष ने भी बंसी वारे को धमकाया था- "हम मरने आए हैं, बच्चों को रखाओ!" फिर जो हुआ, सबको पता
रामवृक्ष ने भले बंसी वारे की नहीं मानी मगर बंसी वारे ने रामवृक्ष की बात मानी, तब से बच्चों को ही रखा रहा है।
बंसीवारा बच्चे रखाने के लिए ही भेजता है- बाग़ों के हर फूल को अपना समझे बागवॉं, पत्ती-पत्ती, डाली-डाली सींचे बाग़वॉं।
बेटा भयभीत, पापा दबाव डालकर लुटवा रहा, ऐसे बाप भुगतेंगे अलग से पाप, बच्चों को ग़लत राह पर चलाते हैं?
आज की बिल्कुल ताज़ा सच्ची कहानी- बंसीवारा भी करता अपने दंड प्रावधानों में समय-समय पर आवश्यक संशोधन
भारत में सफ़ेदपोश लुटेरों ने बना ली थी अपनी यह परंपरा, मोटा लूटो, छोटा बांटो, बांटने के पुण्य से पापों से छुटकारा?
पाप के पैसे का कैसा पुण्य, सारे पुण्य नष्ट, पाप के पैसे से पुण्य करने की बंसीवारा बना रहा अलग धारा, अलग दंड
सच्ची कहानी- जो किसी भी बंसी वारे का किसी भी तरह से करते नुकसान, बंसीवारा उनका करता अपूर्णीय नुकसान।
बंसीवारा करता सच्चा न्याय- पापियों के कर दिए सारे पुण्य नष्ट, नहीं मिलेगा कोई अच्छा जन्म, पाप ही पाप भरने होंगे
हाथ पैरों में जकड़ी जंजीरों और गले में बंधे तख्तों में फंसे मनोज कुमार और दिलीप कुमार जैसी बंसीवारे की कहानी
न तो चोरी है, न तो डाका है, बस ये तो एक धमाका है, धमाके में आवाज़ भी है, एक सोज भी है, एक साज भी है
समझो तो बात यह साफ़ भी है और ना समझो तो राज भी है, अपनी धरती, अपना है वतन, यह मेरा है, मेरा है वतन।
अपनों से नाता जोड़ेगा, गैरों के सर को फोड़ेगा, अपना ये वचन निभाएगा, माटी का क़र्ज़ चुकाएगा, आज़ाद वतन कर जाएगा।
बंसीवारा गा रहा- मेरा चना है अपनी मर्जी का, मर्जी का भई मर्जी का, यह दुश्मन है खुदगर्जी का गर्जी का भई गर्जी का।
सर कफ़न बांध कर निकला है, यह पगला है, दीवाना है, मिटने के समय, मिट जाएगा, आज़ाद वतन कर आएगा।
बंसीवारा बंसी वाले से चलवा रहा अपनी पिक्चर, कोने में बैठकर देख रहे फटीचर, फटी+चर, फटी हुई पर चर रहे?
क्रांतिकारियों के क्रांतिकारी अखिल ब्रह्मांड नायक योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण की भूमि पर चल रही क्रांति की कहानी
ठेकेदारों और सरकारों, मुक्ति का कोई नया जतन कर लो, तुम्हारे पिछले सारे पुण्यों को कर चुका समूल नष्ट बंसीवारा
अकाट्य सत्य- सफेदपोश ठेकेदार गर हत्यारे तो हत्यारों का हत्यारा बंसीवारा, भ्रष्ट सरकारों के लिए महा काल बंसीवारा
बंसी वारे के सामने कोई ठेकेदार नहीं है, बंसी वारे के सामने कोई सरकार नहीं है, हराम की खाने वाले सिर्फ हरामजादे!
आओ-आओ हराम की खाने वालों आओ, मैं तुम्हारे लिए ही बैठा हूं, लूटने और लुटवाने वालों से ऐसे पेश आता बंसीवारा
बंसीवारों को लूटने/लुटवाने वालों को नोंच-नोंचकर मारता, दर आने वाले को तर कर देता, लुटेरे को नहीं कोई छूट देता!
टिट फॉर टेट बंसीवारा- सीधे के लिए सीधा, टेढ़े के लिए महा टेढ़ा बंसीवारा, बंसीवारे की किसी से कोई चाह नहीं
ठेकेदार और सरकार किस-किस के जरिए कर रही कोशिश, जब अपनी पर आता है तो किसी की नहीं सुनता बंसीवारा।
बंसी वारा हंटर लिए बैठा है, ठेकेदार के आते ही चलाएगा और कहेगा यह- और ले ठेका, भक्तों को लुटवाने का ठेका!
जिस बच्चे का माता-पिता को ख्याल रखना होता, उसी का रखते, जिसका नहीं रखना होता, उसे मनमानी करने देते।
पूर्ण सत्य- कोई मां अपने बच्चों का क्या ख्याल रखेगी, जो बंसी वारा रखता है, हां मां, मां-बाप का भी बाप बंसीवारा।
सच्ची कहानी- बंसीवारा जिसका ध्यान रखने का ठेका लेता है, उसके एक-एक मिनी सेकंड का वह पूरा ध्यान रखता है।
सत्य- प्रारब्ध प्राणी को पाप की ओर खींचने की पुरजोर कोशिश करता, अच्छे कर्म कर इंसान उससे बच सकता।
जब तक चाहता बंसी वारा, किसी को कोई मार नहीं पाता, जब और जिस दिन नहीं चाहता, तत्क्षण वह रह नहीं पाता।
अभी देख रहे हैं, किसी के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है, कुछ हो जाने दीजिए, राजनीतिक रोटियां सेंकने के समय आएंगे!
जवाहर बाग़ आंदोलन के दौरान आज की सत्तारूढ़ पार्टी के किसी नेता का कुछ अता-पता नहीं था, आग लगते ही क्या हुआ?
सारा गोदी मीडिया, कितनी ओबी वैन बुला लीं, देने लगे धुंआ, किसी के प्यार की माला टूटी, हाथ उनके सरकार आई
जो सोच रहे उन पर नहीं किसी की नज़र, उनको क्या ख़बर उन पर सबसे बड़ी नज़र, हर हिस्से और हिस्सेदार की ख़बर
लूट मार के ठेकेदार ने देश-प्रदेश के ठेकेदारों का कितना कबाड़ा कर डाला, इसका अनुमान अभी नहीं होने वाला!
लूटने और लुटवाने वालों को अभी नहीं मार रहा परमात्मा, अभी उनसे निपट रही उनकी आत्मा, बंसीवारा, परमात्मा।
बंसी वारा गिरवाता-बनवाता सरकारें, बंसी वारे ने किसी के घर नहीं झांके, ना किसी के रहम-ओ-करम पर खाए फांके!
मथुरा के लूट मार के ठेके के बारे में देश-दुनिया का बच्चा-बच्चा जानता, ठेकेदार और सरकार नहीं मानती, अर्थात्-
सच्ची बातें सच्चे लोगों को ही समझ आती हैं, झूठे लोग पढ़-सुन भले लें, समझने की समझ नहीं देता बंसीवारा।
भोगा गया सत्य- कभी किसी को नहीं छेड़ता बंसीवारा, बंसी वारे को किसी ने छेड़ा तो किसी भाव नहीं छोड़ता बंसीवारा!
मथुरा के सफेदपोश सिर्फ 'लूटमार' के सगे, ना अपनी पार्टी, न यार, ना सरकार के सगे, दगाबाजों को मिलने दगे ही दगे।
अखिल ब्रह्मांड नायक की पावन भूमि/उसके भक्तों पर जो दांत गढ़ा बैठे, बंसीवारा बेसब्री से कर रहा उनकी प्रतीक्षा!
बंसी वारा भी लगा कर बैठा टकटकी, देख रहा लूटमार और सरकार वाले कब तक मेरे बंसी वारे को ठिकाने लगाते हैं?
लूट मार के ठेकेदारों और सरकारों की सरदारी का गई अनगिनत चैनल, बंसीवारा मांगेगा हर्जाना, दे नहीं पाएंगे!
सत्य- जो दूसरों की राहों में फूल बिछाता है, उसकी राहों में कोई कांटे बिछाता है तो बंसीवारा उन्हें फूलों में बदल देता है।
लो जान- मनुष्य योनि बड़ी तपस्याओं से मिलती, मथुरा का टिकट और बड़ी तपस्या से मिलता, क्या कर रहे प्रभु के घर?
बंसी वारे का परिश्रम मार कर, लूटने/लुटवाने वालों से जुड़ तुड़वाया चेन, नहीं चल रहा चैनल, बंसी वारे का क्या दोष?
बंसी वारे को जितना चाहो, सताओ, मारे जाओगे लड़ाई में, कोई बचा नहीं पाएगा, बंसी वारा बाल छतरी उड़ा देता है।
जिसे अपने पट्ठे से काम कराना होता है, वह मालिक बच्चे को आशीर्वाद ही नहीं दिलाता, प्रसाद भी प्रदान करता है।
तपस्वियों का आशीर्वाद, ऐसे ही नहीं मिलता, आशीर्वाद भी क़िस्मत से मिलता, बंसीवारा भाग्य में लिखता, तब मिलता।
मथुरा में बैठे कैसे-कैसे संत और तपस्वी जानता कोई-कोई, मस्तिष्क में जो सोच लें, होगा वही, नहीं टाल सकता कोई।
आज के समाचार माध्यमों को माध्यम मत समझना, अच्छा! फिर क्या समझें? बिकाऊ माल समझना, माल किसे कहते?
अब यह ना ले पूछ, यही सोच रहा था बंसीवारा, बंसी वारे ने वही लिया पूछ, कुछ माल, माल खींचने के लिए भी होते हैं।
कोई अखबार/समाचार देखो, मोदी ने यह कहा, योगी ने यह कहा, सबका पैसा मिलता, हर पीर लिखने से क्या मिलता?
श्रद्धालुओं से लूटमार की नदी में नहाने के बाद जिस किसी की भी छवि स्वच्छ है, समझो वही सबसे बड़ा मगरमच्छ है
मथुरा में हर धर्म-जाति-संप्रदाय के ज्यादातर लोग भले हैं, श्रद्धालु भी भले ही आते हैं, जिनमें मगरमच्छ घुस जाते हैं।
हेमंत बृजवासी का भजन कहता- मेरे बृज की माटी चंदन है, इसीलिए असंख्य सपोले इस माटी को तोलने में लगे हुए हैं।
ओ माय गॉड, बंसी वारे के मुख से निकला, बंसीवारा दिखा रहा चेन स्नेचिंग के पीछे सफ़ेदपोशों की कितनी लंबी चेन?
काट डालना, जो काटने आए, आत्मरक्षा का अधिकार, जो काटने वाले, उनको काटा नहीं, डरा रहे- "बॅंटोगे तो काटोगे?"
"हिंदुओं" को डराने की नहीं, उनमें साहस भरने की जरूरत, डरे हुए तो बेचारे पहले से ही हैं, साहसी बनाने की जरूरत।
बाल छतरी उड़ने का मतलब- सर से साए का उठना, जिसे होता क्रिया-कर्म का शौक़, घर में ही पूरा करा देता बंसीवारा
मेरा शेर- हॉं, मालिक जब पट्ठे के कंधे पर हाथ रखकर टहलता है, पट्ठे की हिम्मत कितनी बढ़ जाती है, मलिक समझता है!
मालिक-सेवक संग- याद रख क़ातिल, छुप-छुप रख खंजर, या खंजरी, आगे ख़तरा, पीछे खत्री, उड़ न जाए बाल छतरी!
बंसी वारे ने 35 वर्षों की पत्रकारिता में ऐसी सरकारें नहीं देखीं- "ट्रांसफर/पोस्टिंग में मोटा लेतीं और लूट भी करातीं!"
सबका साथ, सबका आशीर्वाद- जय हो, आपकी विजय हो! बंसी वारे की क्या जय, और पराजय? बंसीवारा, विजयी हो!
बंसीवारे ने सुना था, बंसीवारा जिसके साथ होता, काल भी उसे माल खिलाता और कहता- "मलिक का मालिक कौन?"
मलिक का कोई मालिक नहीं होता, मालिक की मालकिन होती है, बंसी वारे की मालकिन कौन, नहीं जानते? श्री राधे!
आज फिर किसी ने बंसी वारे के लिए मारण क्रिया की होगी, मामूली सी खरोंच देकर करा रहा इसका एहसास बंसीवारा।
पैरोडी गीत- बंसी वारे के गीतों में मथुरा की कहानियां हैं, कलियों का बचपन है और फूलों की जवानियां हैं (हैं? यस!)
ये ज़मीं गा रही है, ये आस्मां गा रहा है, साथ बंसी वारे के बंसीवारा गा रहा है, जब सबको ये विश्वास आ रहा है तो?
गाओ- हम हैं राही प्यार के, चलना अपना काम, पल भर में हो जाएगी हर मुश्किल आसान, हौसला ना हारेंगे, हम तो बाजी मारेंगे!
मठाधीशों का मठाधीश बंसीवारा, कप्तानों का कप्तान बंसीवारा तब सुनता, जब सुनती आल्हादिनी शक्ति श्री राधे!
अलबेली सरकार से सब सरकारें, सब सरकारों से नहीं अलबेली सरकार, सरकारों की सरकार- अलबेली सरकार
अलबेली सरकार कौन, नहीं पता? राधे अलबेली सरकार! जपे जा राधे-राधे, तैनै राधे नाम न गायो, फिर कृष्ण कहां से आयो?
ब्रह्म मुहूर्त में बंसी वारे से बोलता बंसीवारा- मैं अकेला क्या करता, ऐसे ही ऑंहें भरता, बिन तेरे भला कैसे कटता ये सफर
हर सच्चे भक्त की अच्छी ज़िंदगी होगी, हर तरफ खुशी होगी, इतना प्यार देता बंसीवारा, नहीं कोई कमी होगी।
हॉं खुलेआम-सरेआम, बंसी वारे का हो गया बंसीवारा, जग हैरान, लूटने/लुटवाने वाले परेशान, प्यारे का हो गया प्यारा।
जगन्नाथ से जग, जग से नहीं नाथ, कान खोलकर सुन लो योगी आदित्यनाथ, नाथों का नाथ, नहीं अब तुम्हारे साथ।
चेन स्नैचर्स गिरोह ठेकेदार और उसकी संरक्षक सरकारों, रोको, जितना जी चाहे, रोको, अगर रोक सको तो रोको-
यह जगन्नाथ का रथ, टीटीआई न्यूज़ नहीं साधारण चैनल, बंसीवारा खुद चला रहा अधर्मी सरकारों के विरुद्ध चैनल।
गीदड़ की जब मौत आए, सांपों के झुंड की ओर चला जाए, बच सकता है, बंसी वारे की ओर ना जाए, मिटना सुनिश्चित!
सत्य- बंसीवारे का बंसीवारा, किसी भी सच्चे बंसी वारे से जो टकराएगा, ठोकरें खाकर बंसी वारे की, मिट्टी में मिल जाएगा।
मन्दिर-मन्दिर खेलने वाली सरकारों ने मन्दिरों में जो कराया, देख कलेजा मुंह को आया, कान्हा बंसी वारे के साथ आया।
जो हरा दिए जाते हैं, उनको जिताता है, जो बेईमानी से जाते जीत, उनको हराता है, कान्हा नहीं किसी दबाव में आता है।
ऐसा करतब बंसी वारा ही दिखा सकता है, स्टंप घुमाकर फेंके और स्टंप बुर्जी पर टिक जाए, यमुना मैया को न लगे?
यमुना किनारे के राजेश ने जैसे ही उछाला स्टंप, लुटेरे ले गए जंप, ऐसे ही किसी ने उठा ली हॉकी, नहीं बचा पाएगी चौकी
यह चौकियां-यह थाने जनता के लिए बेगाने, लुटेरों के लिए नाच-गाने, लुटेरों को कोई घेरे तो बचाने आए पूरी चौकी?
जनता चौंकी- बंसी वारे की चेन टूटने के बाद पूर्व कप्तान खुलवा गए मन्दिर के नीचे चौकी, आज तक किसे पकड़ा?
मथुरा छुड़वाने/मारने/मरवाने के किए कितने प्रयास, नहीं हुए सफल तो समझ लो- बैकफायर कभी भी हो सकता है।
पैरोडी शेर- मुझको मिटा सको तो मिटा दो बसद खुशी, लेकिन कभी-कभी मैं बहुत याद आऊंगा। (खुशी के साथ)
हमारे न जाने कितने जन्मों के पुण्य उदय हुए होंगे, हरि ने तब हमें अपने घर में रखा होगा, हम कर रहे हरि से दगा?
लुटेरों और लुटेरनियों को यह समझना होगा कि जो उनसे कराया जा रहा है, उससे उन्हें नर्क में भी स्थान नहीं मिलना।
हरि/भक्तों को समर्पित- धीरे-धीरे प्यार को बढ़ाना है, हद से गुज़र जाना है, मुझे बस तुझसे दिल लगाना है, हद से गुज़र जाना है
क्या करें जब लुटेरे किसी भक्त को घेरें? सब मिलकर एक साथ मिलकर लुटेरों का घेरें और भागने को मजबूर करें!
बाल आग्रह- देश-दुनिया से मालिक के दर आने वाले हरि के मेहमान, स्वागत न कर पाएं तो कम से कम लुटने तो न दें!
आज का पैरोडी बब्बर शेर- चांदनी रात में ठेकेदार सरकार के घर में कूदेंगे, खुद तो डूब ही रहे, सरकार को और ले डूबेंगे।
आज का शेर- जो बंसी वारे को मरवाने चले थे, घुट-घुट कर जी रहे हैं, कहना बहुत चाहते थे, सुनता कोई नहीं, होंठ सी रहे हैं।
कामवाली रानी का स्वर- मोय बंदर खाय गए, इतनौ बंदर है, कितनौ बंदर है, निगम वारे पकड़ो अभियान कौऊ खाए गए
दशकों में मिली सत्ता का नतीजा, जनता को बुरी तरह लूटने पर आमादा भाजपा, 204 की जगह साढ़े तेरह हज़ार टैक्स
कितना अविश्वसनीय मगर पूर्ण सत्य कि राम के नाम पर आई सरकारें आज मन्दिरों में कृष्ण भक्तों को लुटवा रही हैं
विवादित स्थल का विवाद तो अदालत से तय हो जाएगा, जो अविवादित स्थल है, उसके अंदर का दृश्य कब बदलेगा?
देश और प्रदेश में कुछ होता नहीं है, सब कुछ सत्ता के भूखे भेड़ियों द्वारा कराया जाता है, 6 दिसम्बर का नाटक पूर्ण!
आज का विचार- जो लूट और डकैती की संपत्ति रखते हैं, उनके पास सिर्फ भय होता है, शक्ति भक्ति के साथ रहती है।
वह अपना हक़ समझते हैं निवाला छीन लेने को, डकैती को बहुत सारे लोग मजदूरी समझते हैं। (ठेकेदार/सरकार)
वर्तमान लूटने/लोटवाने वालों से पहले, कितने लूटने वाले आए लूट गए मगर सारे साजो-सामान उनके यहीं छूट गए
किसका ठेका- अपना-अपना ठेका है, कोई लुटने वाले को लुटवाता है तो कोई लूटने/लुटवाने वालों को लुटवाता है।
आम जनता की पसीने की कमाई को लुटवाकर जो राजा/महाराजा बने फिर रहे, उनको लूटने का ठेका बंसी वारे का।
जिस-जिस ने हड़पी होगी बंसी वारों की संपत्ति, भले-चंगे दिख भले लें मगर उनको घेरे होंगी अवश्य घनघोर विपत्ति।
मथुरा के सफेदपोशों ने लूटमार, जुआ-सट्टा, ब्लैकमेलिंग और नशाखोरी से बनाई अकूत संपत्ति, चलवाया बुलडोजर?
लूट-डकैती-हत्या-ब्लैकमेलिंग-बलात्कार, लग रहे सत्ता के हथियार, पहले कब होता था ऐसा, भाईयों से तो बहन जी अच्छी थीं?
कोई भी सच्चा धर्म परायण अधर्मी का कभी नहीं कर सकता समर्थन, भले साथ न दिखे, मन ही मन करता प्रार्थना।
लालच में आकर जो अपने फ़र्ज़ से दगा करते, उनसे कभी सटा नहीं होता बंसीवारा, कदम-कदम पर बिखेर देता दगा।
बंसी वारे की चेन टूटना मामूली घटना नहीं थी, बंसी वारा जानता था, लुटेरों की बांध दी थी नज़र, कैमरा नहीं दिया दिखाई!
अपने यारों से हम तो कहते हैं, अपने प्यारों से हम तो कहते हैं- "हुनर जीने का हमसे सीखो, हम बुजुर्गों में बैठे बहुत हैं।"
कंस नगरी का ठेकेदार ऐसा हो सकता है, हर कोई सोच सकता है, सरकार ऐसी हो सकती है, किसी ने नहीं सोचा होगा।
अंतर्मन में भक्तों का गुबार भरा, फिर भी बंसी वारा कर रहा किसका स्वागत- "आईए, आप का ही हमको इंतजार था!"
न पूछो ठेकेदार और सरकार ने कराए कुत्सित प्रयास क्या-क्या, सहज न कर पाए कोई भरोसा, कराए कुकृत्य ऐसे-ऐसे
कितना अविश्वसनीय लगता है मगर है 100 फीसदी सत्य- धर्म परायण सरकार के राज्य में मन्दिरों में लूट का ठेका?
बेहद शर्मनाक- सवा दो साल से चल रही चेन स्नेचिंग की सच्ची कहानी, ठेकेदार और सरकार अब तक शर्मसार नहीं
न गड्ढा मुक्त साफ-सुथरी सड़कें, न कोई यातायात व्यवस्था, मथुरा में लूटने/लुटवाने, मारने/मरवाने की प्रत्येक व्यवस्था?
भारत में छाया घनघोर भ्रष्टाचार, समाज के सारे प्रहरी दिख रहे लिप्त, कौंधता सवाल- "मेरे देश का भविष्य क्या होगा?"
यातायात वसूली का भी चल रहा मथुरा में ठेका, नगर निगम से कट रहे वाहन चालान, रोज़ कट रहे करीब 2000 चालान
अवैध वसूली से त्रस्त चालकों ने बनाया यातायात पुलिस कर्मी का वीडियो तो लगाने लगा अभद्रता का झूठा आरोप
कहते बंसी गुरु- हरि कौ सब ऐसौ ही खेल, यों पंछिन में ढेल, कहें श्री हरिदास- जीवन यों मानो तीरथ जैसौ मेल।
ओ बंसी वारे तुझे बंसी वारा क्या-क्या बता देता है? मत पूछ क्या-क्या दिखा देता है, खेलने वालों से खेलता दिखा देता है-
डरो- जो डरे, उसे डराना, बंसी वारे के पास मत आना, वरना डरते-डरते पड़ेगा जाना, बंसीवारा मिलेगा लेकर प्लग-पाना!
लूटने/लुटवाने वालों ने अब तक हज़ारों/लाखों नहीं कम से कम करोड़ों लोगों को लुटवाया होगा, अब तक पेट नहीं भरा
गुरु से कपट, मित्र से चोरी- जो गुरू से कपट और मित्र से दगा करता है, उसे बंसी वारा कभी सगा नहीं करता है।
पावरफुल सरकार भी डरती है? क्यों नहीं डरेगी? जब पाप कराएगी तो डरेगी नहीं? "पाप" 'भूमि से भारी" होता है।
जो भी अपने दायित्व का सत्य-निष्ठा और पूरी ईमानदारी से करता निर्वहन, उसका हर भार बंसीवारा स्वयं करता वहन!
पश्चाताप करना होगा, प्रायश्चित करना होगा, तब देखना होगा, माफ़ करता या नहीं बंसीवारा, प्रयास कर देखना होगा।
आज का पैरोडी गीत- कितने दशकों से भूखे होंगे यारों सोचो तो वह, दीमक की तरह देश को चाटने में लगे जो?
लूटने और लुटवाने वालों ने ठेका जारी रखने के लिए न पूछो किए अपराध क्या-क्या, कहीं ये ज़मीं-आस्मॉं हिल न जाए?
टैक्स या चौथ वसूली? मथुरा-वृन्दावन नगर निगम से नहीं हो पा रही जलापूर्ति, सफाई भी होती नहीं, किसका टैक्स?
जन-जन को लेना होगा संकल्प- "किसी श्रद्धालु को अपने सामने नहीं देंगे लुटने, लुटेरों के आगे नहीं देंगे झुकने घुटने!"
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