शुद्ध देशी घी का काला सच जानिए और सचेत रहिए

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  • Health

Dr Rao P Singh

 

इस ख़ौफ़नाक धंधे को फ़ौरन रोका जाए,

 

शुद्ध देसी घी का घिनौना सत्य ;

 

चमड़ा सिटी के नाम से मशहूर कानपुर में जाजमऊ से गंगा जी के किनारे-किनारे 10-12 किलोमीटर के दायरे में आप घूमने जाओ तो आपको नाक बंद करनी पड़ेगी । 

 

यहाँ सैंकड़ों की तादात में गंगा किनारे भट्टियां धधक रही होती हैं। इन भट्टियों में जानवरों को काटने के बाद निकली चर्बी को गलाया जाता है। 

 

इस चर्बी से मुख्यतः 3 चीजें बनती हैं;

 

1- एनामिल पेंट (जिसे हम अपने घरों की दीवारों पर लगाते हैं)

 

2- ग्लू (फेविकोल इत्यादि, जिन्हें हम कागज, लकड़ी जोड़ने के काम में लेते हैं)

 

3- और तीसरी जो सबसे महत्वपूर्ण चीज बनती है वो है "शुध्द देशी घी"

 

जी हाँ " शुध्द देशी घी"

 

यही देशी घी यहाँ थोक मंडियों में 120 से 150 रूपए किलो तक भरपूर बिकता है । इसे बोलचाल की भाषा में "पूजा वाला घी" बोला जाता है । 

इसका सबसे ज़्यादा प्रयोग भंडारे कराने वाले करते हैं। 

लोग 15 किलो वाला टीन खरीद कर मंदिरों में दान करके पुण्य कमा रहे हैं।

इस नकली "शुध्द देशी घी" को आप बिलकुल नहीं पहचान सकते । बढ़िया रवे दार दिखने वाला ये ज़हर सुगंध में भी एसेंस की मदद से बेजोड़ होता है । 

औद्योगिक क्षेत्र में कोने-कोने में फैली वनस्पति घी बनाने वाली फैक्टरियां भी इस ज़हर को बहुतायत में खरीदती हैं।

गांव देहात शहरों में लोग इसी वनस्पति घी से बने लड्डू विवाह शादियों में मजे से खाते हैं शादियों पार्टियों में इसी से सब्जी का तड़का लगता है। 

जो लोग जाने अनजाने खुद को शाकाहारी समझते हैं। जीवनभर मांस अंडा छूते भी नहीं। क्या जाने वो जिस शादी में चटपटी सब्जी का लुत्फ उठा रहे हैं उसमें आपके किसी पड़ोसी पशुपालक के कटड़े (भैंस का नर बच्चा) की ही चर्बी वाया कानपुर आपकी सब्जी तक आ पहुंची हो। 

शाकाहारी व व्रत करने वाले जीवन में कितना बच पाते होंगे अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।

अब आप स्वयं सोच लो आप जो वनस्पति घी "डालडा" "फॉर्च्यून" आदि खाते हो उसमे क्या मिलता होगा।

कोई बड़ी बात नही कि देशी घी बेंचने का दावा करने वाली कम्पनियाँ भी इसे प्रयोग करके अपनी जेब भर रही हैं। इसलिए ये बहस बेमानी है कि कौन घी को कितने में बेच रहा है। 

अगर शुध्द घी ही खाना है तो अपने घर में देसी गाय पाल कर ही आप शुध्द खा सकते हो या विश्वसनीय गोशालाओ में  निर्मित देसी गोमाता का घी ले सकते है।

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