राम और गाम से पुकार- जनके काज विलंब न कीजै, आतुर दौर महा सुख दीजै! 'कंसन कू मार-मार लट्ठन झूर कर दीजै'
आज का शेर- अभी क्या देखा है, और बड़ा देखोगे, निकल जाएगी हवा, जब बंसीवारों के साथ बंसीवारा खड़ा देखोगे
असली/नकली सोने की पहचान करने वाले अलग तैनात होते, सोना पहने हुए के पास ताली बजाने वाले अलग होते
कह दे- नए-नए लुटेरों राह पर आ जाओ, यह बर्बाद कर दी, अगली ज़िंदगियां मत करो, भुस भर के रख देगा बंसीवारा!
भुस किस में भरा जाता है? गौशाला में! अरे पागल, होते जो पशु प्रवृत्ति के, उनमें भरा जाता, पशु ही बना दिया जाता है
मथुरा के गऊघाट की तरफ से यमुना किनारे की सीढ़ियों पर बाइक चढ़ाता आता नई उम्र का एक प्लाटून कमांडर
नाम बोलूं, मत ले, लेना हो तो मेरा ले, किसी और के से क्या मिलेगा? तुझे मैं मिल गया, अब तू नाम लेगा- बंसीवारा!
वैसे भी सब लुटेरों को क्षेत्रीय लोग सब जानते हैं, किसी दिन उनके संकल्प लेने की देर है, सबकी हो जाएगी नाकाबंदी
मथुरा के मंदिरों में गले में सोने की मोटी सांकर डाल रहता कंपनी कमांडर, सुबह होते ही हो जाता 25000 का मल्ल
ख़बर आई कि कल भी एक सांकर तोड़ने वाला पकड़ा गया, जिसे सौंपा, वह प्रभारी बोला- सांकर होगी खजाने में जमा
यह नहीं बताया कि जो पकड़ कर सौंपा, उसका क्या होगा? उसका वही होता कि चल लग जा बेटा, फिर से काम पर
भांग के ठेके पर लिखा भांग का ठेका, शराब के ठेके पर शराब का ठेका, लूट के ठेके पर नहीं लिखा- लूट का ठेका?
सारी बातों पे तुझे है अधिकार, ओ सारी दुनिया के सृजन हार के लीला तेरी तू ही जाने, तू ही जाने, श्याम तू ही जाने
सच्ची पंक्तियां- यमुना जल में कृष्ण को पाकर विषधर ने हुंकारा, जमकर युद्ध हुआ रे दोनों में, नाग कालिया हारा
उसके फन पर किया राज़, तुझ पर आई नहीं आंच, अरे उसको जमुना जी से दिया रे निकार के लीला तेरी तू ही जाने
कंस ध्वंस कर मात-पिता से मिलन किया रे सुख कारी, बेटा पाकर मां को मिल गई जग की संपत्ति सारी!
कभी राम, कभी श्याम, एक रूप कई नाम, हर युग में लिया रे अवतार, के लीला तेरी तू ही जाने
आज का प्रासंगिक भजन- तेरी माया का ना पाया कोई पार के लीला तेरी तू ही जाने, तू ही जाने, ओ श्याम तू ही जाने
बंदी गृह में जन्म लिया और पल भर वहां न ठहरा, तू तो पल भर वहां न ठहरा, टूट गए सब ताले, सो गए, देते थे जो पहरा
प्रभु भक्ति में लीन संन्यासी भेद समझ ना पाया, यह भेद समझ ना पाया, जब-जब प्रभु का ध्यान किया,
यह बालक ही क्यूं आया? जागा साधु का विवेक, शिशु में प्रभु को लिया देख, अपने हाथों से दिया दिया रे आहार
सत्य- हरि ही जग कर्ता, हरि ही पालन कर्ता, हरि ही हर्ता, हरि की शक्ति अद्भुत बड़ी महान, हरि का ही सारा जहान!
जिनके साथ होते भगवान, उनके लिए तत्पर रहता जहान, कानी चिड़िया भी साथ नहीं देती, साथ ना हो गर भगवान!
बंसीवारे ने दिया उदाहरण, लुटेरे आउटर पर पहुंच गए, इस मध्य ट्रेन स्टेशन पर आई, अगले गंतव्य की ओर चली गई
आज का मनभावन बड़ा प्यारा भजन- न मैं तपसी, न ज्ञानी, न मैं योगी, न ध्यानी, तुम मात-पिता मेरी,
मैं बालक अज्ञानी, मैया मेरे दोषों पर, मत ध्यान दिया करना, जब याद तेरी मां आए, दर्शन देने की कृपा करना!
सच्चे तपस्वियों के पास पावरफुल पुण्य ही होता है, जो सोच लेते हैं, वही होता है, किसी के टाले नहीं टलता है
पावरफुल पुण्य के बल पर ही तपस्वी दे देते, जब किसी को आशीर्वाद अथवा श्राप, भगवान भी उसे टाल नहीं पाते हैं!
"अनाप-शनाप दौलत खर्च करने पर भी लुटेरों से जो नहीं मिलता, वह बंसीवारा, बंसीवारों को मुफ़्त में मिलता है!"
ट्रेन में सफर करते बच्चे से शिक्षक ने पूछा- पैसा कहां से आता है? बच्चे ने दिया जवाब- "पैसा श्रम से आता है!"
अर्थात् श्रम से आया पैसा कोई भी आराम से हज़म नहीं कर सकता है, हज़म करने के लिए पैसा बड़ा श्रम करा लेता है!
लीलाधर की लीलाएं विचित्र, हर कोई समझ नहीं पाता है, जब लगती चोट, तब आता होश, पहले समझ नहीं पाता है
पैसे-पैसे में अंतर होता है, मेहनत का पैसा बड़ा पावरफुल होता है, किसी का ऐसा पैसा जिसने भी ऐंठा, बड़ा रोता है
पैसे कैसे भी, कोई कितने भी इकट्ठे कर ले मगर नोट करके रख ले- "पाप के पैसों से एक अदद पुण्य नहीं मिलता है!"
पैसे पर मरने वालों के लिए पंक्तियां- "पैसे की जरूरत से इनकार नहीं है, पैसा ही मगर सब कुछ सरकार नहीं है!"
पैसे से तुम क्या-क्या खरीदोगे, दिल खरीदोगे के जां खरीदोगे, इन ज़मीनों का मोल हो शायद, आसमानों का मोल क्या दोगे?
पीने-खाने के बाद मदमस्त लुटेरे गाते यह गाना- "क्या पैसा-पैसा करती है? पैसे की लगा दूं ढेरी, जो तू हो जाए, मेरी!"
कुछ लोग होते ऐसे, जिनके लिए होते सब कुछ पैसे, कहते- मैं पैसे के लिए कुछ भी कर सकता हूं, बंसीवारे होते विपरीत
बंसीवारे पैसे के लिए कुछ भी नहीं कर सकते हैं, पैसे बगैर वह कुछ भी कर गुज़र जाते हैं, हैं? हैं नहीं, जी या यस सर
अब बस कर बहुत पढ़ लीं तेरी फालतू की बातें, कहने वाले वाले ऐसे भी होंगे, नासमझ नहीं समझते जीवनोपयोगी बातें
ऐसे नासमझों से बंसीवारे के जरिए यह कह रहा बंसीवारा- "समझ-समझ के समझ को समझो,
समझ समझना भी एक समझ है, समझ-समझ के भी जो ना समझे, मेरी नज़र में वो नासमझ है!"
सच्चे बालक शुभ चतुर्वेदी ने लूटा बंसीवारे का दिल, बोला- "चेन तोड़ने वालों को, मैं ज़िंदगी भर चैन नहीं लेने दूंगा!"
सच्ची कहानी- आंधी-तूफ़ान, बारिश-बाढ़, सब तपस्वियों के खिलौने हैं, प्रभु से प्रार्थना कर, चाहे जब मंगवा लेते हैं!
अभी यमुना में आई थी बाढ़, पहुंचते रहे सिर्फ आरती वाले, लुटेरे नहीं पहुंचे किनारे, उन्हें ले जाने को भी आई थी बाढ़?
तूफ़ान को रोकने की कोशिश मत करना, तूफ़ान आकर खुद चला जाता है, उसे जो करने भेजा जाता है, करके जाता है!
रोकने की कोशिश की तो, तूफ़ान हमारा क्या कर लेगा? अच्छा सवाल, उत्तर- प्रभु साथ न हुए तो बहा ले जाएगा!
अगर हृदय में सच्चा विश्वास हो और तेरा प्रभु तेरे साथ हो तो बिल्कुल मत घबराना, तूफ़ान बिना रोके, रुक जाएगा!
उल्लू कौन होते हैं? उल्लू वह होते हैं, जिन्हें रात में ही नज़र आता है, प्रभु की मर्जी न हो तो रात में भी नहीं देख पाते!
सफर रेल का हो या हवाई जहाज का, यातायात संचालन के नियम होते हैं, प्लेटफ़ार्म से छूटी गाड़ी वापस नहीं लौटती है
कुछ बावरे होते ऐसे, जो कहते, हम यह ट्रेन नहीं चलने देंगे, जो आउटर पर आ गई, प्लेटफ़ार्म पर आने से नहीं रुकती!
मन को समझाओ सत्य- अपना सोचा कभी नहीं होता, राम करे सो होय, काहे मनवा धीरज खोता, काहे तू नाहक रोय!
अगर शक्तिशालियों के चाहने से ही सब कुछ हो जाता तो कंस के हाथों अखिल ब्रह्मांड नायक का मर्डर न हो जाता?
मथुरा के भले लोग और श्रद्धालु बनते माध्यम, कुत्तों तक का पेट सुबह ही भरवा देते भगवान, लुटेरों का नहीं भरता
लूटने/लुटवाने वालों, भले तुड़वा डाले हों लाखों नहीं, करोड़ों मंगलसूत्र, सब मिलकर एक की क़ीमत नहीं दे पाओगे!
एक मंगलसूत्र की क़ीमत क्या होती है, लुटेरों तुम नहीं जान पाओगे, शनि देव मांग रहे एक की जगह तीन, दे पाओगे?
गुरुओं का गुरु महागुरु बंसीवारा, नहीं चाहता कि टूटे अब किसी का भी मंगलसूत्र, नहीं तो होगा अमंगल ही अमंगल
सत्य वचन- जिसके साथ गुरु का भाव प्रबल, उसमें कितना बल? किसी के व्दारा कभी नहीं लगाया जा सकता अनुमान
श्री कृष्ण नगरी मथुरा का लुटेरा गिरोह करता इज़रायली ऐप का जमकर इस्तेमाल, कोई रोक सके तो रोक कर दिखाए?
यह गिरोह आईजी/डीआईजी किसी को कुछ नहीं समझता है, किसी का भी मोबाइल हैक कर सकता है, ध्यान रखना!
भजन- मैया तेरे भरोसे मेरा संसार है, तू ही मेरी नाव की मांझी, तू ही पतवार है, यमुना मैया तेरे भरोसे मेरा संसार है
बंसी वारे का बाप बंसीवारा, मैया कौन? जिसने डूबने नहीं दिया, पार उतार दिया, उस मॉं यमुने से कहता- यमुना मैया
जन्म देने वाली ही नहीं, रक्षा करने वाली भी मैया ही होती है मगर "मथुरा की हर मैया" बंसी वारे को "भैया" मानती है
वास्तव में रक्षा करने वाली बहन ही होती है, रक्षा सूत्र वही बांधती है, यमुना मैया भी भाई दूज के लिए मानी जाती हैं
तू करता वह है, जो तू चाहता है, होता वह है, जो मैं चाहता हूं! मैं ऐसा कहां करता हूं? बंसी वारे ने झल्ला कर कहा!
बंसीवारा बोला- तेरी बात नहीं कर रहा हूं मैं, मैं और सब की बात कर रहा हूं, उनके लिए आज तुझे यह संदेश दे रहा हूं-
तू वह कर, जो मैं चाहता हूं, फिर होगा वही, जो तू चाहता है! बंसीवारे के मुख से निकला- हैं? हैं नहीं, जी या यस सर बोल
राजा की आई चला चली की बेला, अब तो खोल जाओ, जो आपने बोला, आज तक नहीं खोला, मंगल सूत्र का खेला?
यहां चौड़ी छाती वीरों की, और भोली शक्लें हीरों की, यहां नित-नित मेले लगते हैं, नित ढोल और तासे बजते हैं, ओहो
प्रसाद की टोकरी में कुछ और भी आए तो स्वीकारना मत लेना, पुण्य नहीं, महापाप होगा, न जाने कब उदय हो जाए?
एक मंदिर महंत ने बंसीवारे को बताया- "फलां-फलां मंदिरों में ऐसा होता है, तह में जाकर देखा तो सब सच निकला!"
बंसीवारे से बोला बंसीवारा, मेरी तरफ से सबसे कहो- "मेरी तरह करना सीखें, जो दबाव डाले, गाड़ी से घर भिजवा दें!"
दुष्यंत कुमार की पंक्तियां- हो गई है पीर पर्वत सी, पिघलनी चाहिए, सिर्फ हंगामा खड़ा करना, मेरा मक़सद नहीं,
मेरी कोशिश है ये सूरत बदलनी चाहिए, तेरे सीने में हो या कि मेरे सीने में, हो कहीं भी, मगर आग जलनी चाहिए!
जो जन-जन की पीर हरने के लिए कार्य करते हैं, जन-जन की प्रार्थनाएं उनके साथ रहती हैं, प्रभु उनकी कद्र करते हैं
शेर- है समय इक दरिया, जिसमें किनारे भी डूब जाया करते हैं, है समय बड़ा तूफ़ान, जिसमें पर्वत भी ढह जाया करते हैं
मथुरा होने के लिए बड़े-बड़े दंश झेलने पड़ते हैं, कंस झेलने पड़ते हैं, बड़े-बड़े नर्क कुंडों से होकर निकलना पड़ता है!
मथुरा में जन्म लेकर जब बंसीवारा खुद इतना झेला, क्या हुआ जो बंसीवारे से लुटेरों का गठबंधन थोड़ा-बहुत खेला
मथुरा के कुछ मठाधीश सरकार की छाती पर इसलिए रहे मूंग दल कि उनके पास सोशल मीडिया सेल, हो गया फेल
सोशल मीडिया पर टिप्पणियां करने वाले पाते धनराशि, सत्तारूढ़ दल अपने पक्ष में टिप्पणियां कराने में अव्वल
इसलिए देशवासियों अब आप सभी जाओ संभल, किसी शातिर के शब्दों संग न बहना, है पैसों से लिखी हर भाषा
ज़मीं वही, आस्मां भी वही है, डार्क वही, लाइट भी वही है, स्काई वही, काइट भी वही है, रोज़ देता बाइट भी वही है
जिसे गुरु ने दे दिया आशीर्वाद जय हो, उसकी हार नहीं होती, बंसी वारे के साथ महागुरु, गुरुओं का गुरु बंसीवारा!
बाढ़ की विभीषिका से जो जूझे, उन्हें अनुदान देना राम जी, हौंसले से घोंसले का फिर निर्माण करें, वरदान देना राम जी!
सच्चा फ़िल्मी गीत- आजा-आजा मेरे मिट्ठू मियां, तुझे पिंजरे में बंद कर लूं, मिट्ठू मियां से मीठी-मीठी, बातें मैं चंद कर लूं
सच्ची कहानी- लुटेरों ने पाल रखे लैंगिक/समलैंगिक तोते/तोतियां, सोशल मीडिया चैटिंग से सेटिंग, फिर ब्लैकमेलिंग
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