दो गज की दूरी, और मास्क है बहुत जरूरी, ”जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं

Subscribe






Share




  • Health

प्रस्तुति - पंकज गुप्ता

”दो गज की दूरी, और मास्क है बहुत जरूरी”

”जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं”

”कोरोना से जंग है जारी, अब तो समझो अपनी ज़िम्मेदारी“ 

एक उद्धरण आज का:

यूँ ही एक छोटी सी बात पे ताल्लुकात पुराने बिगड़ गये। मुद्दा ये था कि सही "क्या" है और पता नहीं कब वो सही गलत को छोड़ कर "कौन" सही है, पर उलझ गये..।।

एक दास्तां जीवन की:

एक समय एक बहुत बड़े ज्ञानी हुए। 

वो कभी कभी अपने शिष्यों को अपने जीवन के नए-नए शोध बताया करते थे। एक दिन वो अपने शिष्यों से सुबह सुबह बोले, चलो आज एक नई बात सुनाता हूँ। और वो कहने लगे, मैं जब युवा था तो मुझे नौका-विहार का बहुत शौक था। मेरे पास एक छोटी सी नाव थी और उसे लेकर में अक्स र अकेला झील की सैर करता था। मैं घंटों झील में रहता था।*

एक दिन ऐसा हुआ कि मैं अपनी नाव में आँख बंद कर सुंदर रात पर ध्यान कर रहा था। 

तभी एक खाली नाव उलटी दिशा में आई और मेरी नाव से टकरा गई। मेरी आंखे बंद थी। इसलिए मैंने मन में सोचा कि किसी व्याक्तिद ने अपनी नाव मेरी नाव से टकरा दी है। और मुझे क्रोध आ गया। मैंने आंखें खोली और मैं उस व्यक्ति को क्रोध में कुछ कहने ही जा रहा था कि मैंने देखा कि दूसरी नाव खाली है। अब मुझे कुछ करने का कोई उपाय न रहा। किस पर यह क्रोध प्रकट करूं? नाव तो खाली है। और वह नाव धार के साथ बहकर आई थी। 

और मेरी नाव से टकरा गई थी। अब मेरे लिए कुछ भी करने को न था। 

एक खाली नाव पर क्रोध उतारने की कोई संभावना न थी। तब फिर एक ही उपाय बाकी रहा। मैंने आंखें बंद कर ली। और अपने क्रोध को पकड़ कर उलटी दिशा में बहने लगा। और में अपने केंद्र पर पहुँच गया। वह खाली नाव मेरे आत्मक ज्ञान का कारण बन गई। उस मौन रात में मुझे आपने भीतर जाने का मौका मिल गया। क्रोध मेरी सवारी बन गया और खाली नाव मेरी गुरु हो गई। फिर गुरु जी ने कहा, अब जब कोई आदमी मेरा अपमान करता है तो मैं हंसता हूं और अपने आप से कहता हूं कि यह नाव भी खाली है। मैं आंखें बंद करता हूं और अपने भीतर चला जाता हूं।

 

इस प्रेरणादायक कहानी का संक्षिप्त निष्कर्ष: 

जब किसी व्यक्ति के पक्ष या विपक्ष में आपके मन में कोई भी भाव उत्पन्न हो तो तुरंत उसे उस व्यक्ति विशेष पर कदापि आरोपित ना करें। मेरा ज्ञान तो ये कहता है कि जब किसी के प्रति घृणा, प्रेम या कोई और अन्य भाव पक्ष या विपक्ष में पैदा हों तो उस समय ये स्मरण रखें की उस उक्त भाव के स्त्रोत मात्र तुम स्वयं हो। अगर कोई ऐसा व्यक्ति है जिस की बातें अच्छी हैं और हाव भाव अच्छे हैं और वह दयालु भी है लेकिन आपको उस पर फिर भी खीझ आती है। तो अपने गुस्से पर काबू करने के लिए ध्यान लगाएं। इस पैगाम के अनवेषक  का यहाँ ये कहना है कि एक तालाब काई और घास से ढका हुआ था। वहां एक प्यासा और थका हुआ आदमी पहुंचता है। वह उसकी काई और घास को हटाता है, तालाब का पानी पीता है, उसमें नहाता है और अपनी थकावट दूर करता है। ठीक इसी तरह आप भी उस व्यक्ति के हाव-भाव पर ध्यान न देकर उसकी बातों पर ध्यान लगाएंगे तो आपको कभी गुस्सा नहीं आएगा।

TTI News

Your Own Network

CONTACT : +91 9412277500


अब ख़बरें पाएं
व्हाट्सएप पर

ऐप के लिए
क्लिक करें

ख़बरें पाएं
यूट्यूब पर