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मथुरा के बरसाना की विश्व प्रसिद्ध लठामार होली में हुरियारों पर बरसीं हुरियारिनों की प्रेम से पगी लाठियां!
आज का सच्चा भजन ही आज का सद् विचार - हम न सोचें कि हमें क्या मिला है, हम यह सोचें, किया क्या है अर्पण?
क्यों शिकायत करूं बंसी वारे से, मैं तो करता बंसी वारे का हर वक़्त गुणगान, बंसी वारे तेरा शुक्रिया, तूने जीवन में सब कुछ दिया!
पीएम साहब आप तो पंजाब के राधा स्वामी सत्संग ब्यास होकर आए थे, क्या देखकर आए थे, उद्देश्य कुछ और था?
मथुरा में जगह-जगह चल रही सिर्फ और सिर्फ ठेकेदारी, घटनाओं के होने पर नहीं तय होती किसी की जिम्मेदारी!
कोई उत्सव सकुशल संपन्न कराया नहीं जाता, उत्सवों का सिर्फ ढोल पीटा जाता, उद्घाटन भी कराया जाता, उद्देश्य?
कभी कोई दुर्घटना हो गई तो बात समझ में आती मगर जब देखो, तब घटना हो जाती है, कोई मौका खाली नहीं जाता?
बरसाना-वृन्दावन में दुर्घटनाएं या घटनाएं? अव्यवस्था यही सिद्ध करती है सुव्यवस्था नहीं जरूर कुव्यवस्था रही होगी!
बृज की होली के रंग कौन करा रहा बदरंग, श्रद्धालुओं से धक्का-मुक्की, मार-पीट और लूट-पाट करा रहा कौन?
वृन्दावन के विश्व प्रसिद्ध ठाकुर श्री बांके बिहारी मंदिर में सुरक्षा कर्मियों और श्रद्धालुओं में मारपीट, वीडियो वायरल
बरसाना के श्री जी मन्दिर में लड्डूमार होली की रही धूम, रेलिंग टूटी, दस श्रद्धालुओं के घायल होने की ख़बर
मुंबई के शिवाजी पार्क से भारत जोड़ो न्याय यात्रा के समापन समारोह के बाद राहुल और प्रियंका रवाना
भारत सचमुच महान, चाय वाले तक को बना देता देश का प्रधान, कोई इसके आगे सेवक जोड़ ले, चाहे राजा महान!
चाय हो या कॉफी या कि लस्सी, अच्छी तभी होती है, जब सिंथेटिक दूध की बनी हुई ना हो, मिलावट का ज़माना है!
जिसका जो मन हो, वह पिए, हम क्यों कहें कि चाय पियो या लस्सी पियो, हम कुछ पीने को कहें तो वह प्रचार होगा?
चुनाव आ गया है, चाय पीने और पिलाने वाले बहुत आएंगे, चाय को टेस्ट कर लेना, फिर निर्णय लेना, पीनी है या नहीं?
सुनो सबकी करो अपने मन की, कहने को एक कहावत है, मगर सच्चाई है जो सबने कहा, उसे तोलो, फिर निर्णय लो!
निर्णय स्वयं लें- मताधिकार आपका अधिकार, अपने इस अधिकार पर किसी और को न ज़माने दें अपना अधिकार!
अगर आपने किसी अन्य के मतानुसार अपने मताधिकार का प्रयोग किया तो फिर मत आपका नहीं, उसका हो गया!
19 अप्रैल से 1 जून तक 7 चरणों में चुनाव, 4 जून को मतगणना, लोकसभा और 4 राज्यों का विधानसभा चुनाव, 26 विस सीटों का उपचुनाव
भारतवासी सचमुच भोले-भाले, भगवान ही इनके रखवाले, लूट, फिरौती और चौथ वसूली के शिकार मगर कभी बोले?
जिनके उड़े हुए फ्यूज, देख टीटीआई न्यूज़ ललचाने लगे हैं,
नहीं जानते यह सच्चाई के यहां तक आने में ज़माने लगे हैं!
जिनके समक्ष सारे तंत्र मंत्र यंत्र, मारण, मोहन, कीलन और उच्चाटन फेल हो जाते हैं, वे सच्चे प्रभु सच्चा खेल रचाते हैं!
कुर्सियों पर बैठे सेवादार राजा बन खाने-कमाने में लगे हैं, कुछेक सच्चे देशभक्त देशवासी, देश को बचाने में लगे हैं!
दो किनारों में दरिया गिरफ्तार है, यह नदी है कि पानी की दीवार है, सब गुनाहों में लिप्त यहां, कोई गुनहगारों को नहीं कराता गिरफ्तार है!
बिजलियां यूं ही नहीं गिरतीं कभी, इस चमन में कोई तो गुनहगार है, हमको मनचाही सूरत दिखलाता रहा, आईना भी हमारा वफ़ादार है!
मोदी ने दी हर बात की गारंटी, देखा देखी कॉन्ग्रेस लेकर आ गई अपनी गारंटी, किसी ने दी श्रद्धालुओं की सुरक्षा की गारंटी?
मोहब्बत की दुकान खोलने की बात करने वालों, पहले यह बताओ- श्रद्धालुओं से लूटमार के ठेके बंद करवाओगे?
किस बिंदु पर आज तक कोई नहीं बोला, सब ने भरा झोला, भर लिया, तब भर लिया, अब राह पर आओ, सच बताओ!
तपस्या में जरूर कमी ही होगी, बैलेट पर आना नहीं चाहते, स्वतंत्र-निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव वह कराना नहीं चाहते?
देश के हर ख़ास-ओ-आम को नहीं अब ईवीएम पर बिल्कुल भरोसा, बेईमान सिद्ध होना चाहते हो तो भले मत हटाओ!
जैसे बृजभूषण का टिकट काटा, वैसे ही ईवीएम रूपी सर्प गले से उतार फेंको, क्या भगवान श्री राम पर नहीं भरोसा?
अहम् सवाल- सब देश कर चुके रिजेक्ट, उस ईवीएम में ऐसा क्या इफेक्ट, आई किसी सरकार ने छोड़नी नहीं चाही?
मैं ही मैं- आप सबको परिवारवादी बताते हो जबकि आप व्यक्तिवादी हो, शाह के अलावा आपका किस पर भरोसा?
सबके अपने-अपने ठेके- हम भी अगर चुप हो गए तो फिर बोलेगा कौन, जो कह नहीं पाते, उनके मन की कहेगा कौन?
सब अपने हाथ में ले लिया, जो करना था, नहीं किया, जो हुआ, उसका ढोल ऐसे बजाया, जैसे पहाड़ खोद दिया?
ट्रू स्टोरी हवा में उड़ाई- देश-दुनिया में फैली चेन स्नेचिंग की चेन, कुंडल-पर्स-मोबाइल जिनके गए, भूल सकता कोई?
आपने कहा था- नदियों को साफ़ कराना आपको आता है, गुजरात की साबरमती देखो मगर मैया को हुनर दिखा नहीं!
यमुना मैया के पास तो कभी फटके नहीं आप, आपने सिर्फ यमुना मैया का नाम लिया, इतने में ही आपको वरदान दिया!
यमुना-यमुना सब करते हैं, श्रद्धालुओं से ज़ेब सब भरते हैं, मगर जो देतीं हमें सब कुछ, उनके लिए हम क्या करते हैं?
कौंधता सवाल- श्रद्धालुओं से लूटमार कब तक करवाओगे, अगर पूछ लिया यमुना मैया ने तो क्या जवाब दे पाओगे?
अगर आप सही हैं तो कोई आपको लाख डुबोना चाहे मगर किसी कीमत पर नहीं डूबने देतीं यमुना मैया, तार देतीं नैया!
डुबोती भी यही हैं- कोई दावा न करे कि सिर्फ तारती मैया, अगर आ जातीं गुस्से में तो अच्छे-अच्छों को मारती मैया!
सरस अनुभूति- पहले परखतीं, यमुना जी परम कृपाल, जगत में यमुना जी परम कृपाल, इनते डरपत है काल!
सत्य- प्रभु मान लें या प्रकृति समझ लें, उनकी ओर से हर बात के संकेत पहले ही आ जाते हैं, बस समझने वाला होना चाहिए!
अगर फिर सत्ता में आना चाहो- मथुरा आकर एक डुबकी यमुना में लगाओ, नहीं आ सको तो हेमा जी से लगवाओ!
दुष्यंत कुमार का शेर- हो गई है पीर पर्वत सी, पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए!
बंसी वारे का कुछ पता नहीं, किससे कब क्या करा ले जाए, कोई जानता नहीं, किसे समझता, किसी की मानता नहीं!
टीटीआई न्यूज़ आपका अपना नेटवर्क, एक जीती-जागती सच्ची कहानी- चंद पंक्तियों में देश-दुनिया की सच्चाइयां!!!
तंत्र-मंत्र-यंत्र से चल रहा देश, एक पहलवान भैया ने बताया- जनसभाओं में मुद्राएं बनाकर जनता पर जादू करते नेता!
आज की सच्ची कहानी- देशवासियों का खून पानी, ऐसा बिल्कुल नहीं, देश लिखने जा रहा इस बार नई कहानी!
आम जनमानस के आज के विचार- देश में क्या चलता, अब पता चल रहा, अभी क्या पता चला, आगे और पता चलेगा!!
देश से अब कुछ छुपा नहीं, सत्ता का भी हो गया पर्दाफाश, विपक्ष की उतरी सिर्फ टोपी, सत्ता का उतर गया पूरा पतलून!
जनता जान गई सब कुछ, सोशल मीडिया से समझ लिया सब, बताने वाले बता गए बहुत कुछ, कैसे जीतते चुनाव?
किसी का सगा नहीं- दगा किसी का सगा नहीं, मत मानो कर देखो, जिसने रब से किया, अब उसकी फिक़र देखो!
अब हम कहां से दें चुनावी चंदा, रो रहे लुटवाए गए व्यापारी, व्यापार बंद कराने की धमकी दे लाखों लूट ले गए अधिकारी
चंदे का धंधा, आजकल जिधर देखो, उधर चंदे का धंधा, सामाजिक संगठनों के भ्रष्टाचारी भी करते चंदे का धंधा!
आज का बब्बर शेर - बात नहीं जुर्म की, सर मरोड़ा सांप का, चैन-कुंडल मारके बैठा जोड़ा सांप का?
उनका कोई धंधा नहीं, सुपरमैन की तरह चाहे जब उतरते हैं, यह कोई जादूगर हैं या कि इनकी कोई कोई मिल चलती है?
हींग लगे न फिटकरी, रंग चोखा ही चोखा- अब तक का सबसे बड़ा खुलासा, मुफ़्तखोरों का धंधा, चंदे का धंधा!
कोई बचा नहीं पाएगा- कोई गड़बड़ी न कराए, अगर कराई इस बार तो अनिल मसीह और एसबीआई जैसा होगा हश्र!
जो करता, डंके की चोट करता बंसी वारा नहीं चाहता कभी कोई श्रेय, श्रेय लेने के लिए बंसीवारे ने छोड़ रखा जग सारा।
ईडी और सीबीआई को खत्म कर दिया जाना चाहिए, यह एजेंसियां सत्ता के इशारे पर लोगों को फंसाने का काम करती हैं!
अब नहीं आएंगे मोदी- गुजरात को छोड़ देश के अधिकांश राज्यों में सत्ता की हवा खराब, जनता हटाने जा रही सत्ता!
इन्हें चाहिए सिर्फ वोट और नोट, खुलवा-खुलवा कर देखते सबके खाते, अपने खाते पर चाहते बंद ताला, बड़ा घोटाला!
लोकतंत्र का सबसे बड़ा अभिभावक सर्वोच्च न्यायालय, निर्वाचन व्यवस्था को अपने हाथ में लेने का अधिकार!
लोकसभा चुनाव आते-आते न्यायपालिका उतार रही सत्ता का भूत, बदलेंगे लोग, बदलेगी कार्यपालिका-पत्रकारिता!
ज़ेहन में कौंधता सवाल- चंडीगढ़ मेयर चुनाव, इलेक्टोरल बॉन्ड्स, लूटमार के ठेके पर चुप्पी नहीं जुर्म का इकबाल?
"पिंगल" नामक जारी संवत्सर आधारित भविष्यवाणी- "इस वर्ष सच्चे लेखक, पत्रकार या विद्वान जो कहेंगे, वही होगा!"
मतदाता किस पर भरोसा करे? बीते 10 वर्षों की सारी स्थितियों का खुद आंकलन कर निर्णय लेना श्रेयस्कर!
मोदी सरकार की हक़ीक़त सामने ला रहे सच्चे पत्रकार, जनमानस को अपने-अपने माध्यमों से कर रहे ख़बरदार!
मैं प्रेम हूं, मैं आस हूं, मैं श्रद्धा का सैलाब हूं, हर एक दिल में वास करता हूं। मैं न्याय हूं, विश्वास हूं, दुखियों की आवाज़ हूं, कंसों का संहार करता हूं!
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