राजस्थान : एमएल लाठर 7 माह के लिए डीजीपी बने

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भूपेन्द्र यादव 8 माह के लिए राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष होंगे।

डीबी गुप्ता पांच वर्ष तक मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर रहेंगे।

न खाता, न बही, गहलोत कहे सो सही। 

प्रशासनिक और राजनीतिक तंत्र पर सीएम अशोक गहलोत की मजबूत पकड़, वाकई कमाल का जादू है।

एस.पी. मित्तल

जयपुर 14 अक्टूबर 2020

एमएल लाठर ने आज राजस्थान के पुलिस महानिदेशक (प्रशासन) का पदभार संभाल लिया है जबकि अब तक इस पद पर कार्यरत भूपेन्द्र यादव को राजस्थान लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। लाठर का आईपीएस का कार्यकाल मई 2021 में पूरा हो रहा है। यानि लाठर डीजीपी के पद पर सात माह ही रहेंगे। इसी प्रकार भूपेन्द्र यादव भी आयोग के अध्यक्ष के पद पर मात्र 8 माह ही रह पाएंगे। आयोग में अध्यक्ष के पद पर 62 वर्ष की उम्र तक ही काम किया जा सकता है। 8 माह बाद यादव पूरे 62 वर्ष के हो जाएंगे।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की योजना के मुताबिक अगले कुछ दिनों में ही डीबी गुप्ता राजस्थान के मुख्य सूचना आयुक्त का पद संभाल लेंगे। 14 दिन पहले आईएएस की सेवा से रिटायर हुए तथा कोई चार वर्ष तक मुख्य सचिव रहे, डीबी गुप्ता आगामी पांच वर्ष तक मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर काम करते रकेंगे, क्योंकि इस पद पर 65 वर्ष की उम्र तक नियुक्त रहा जा सकता है।

सम्पूर्ण राजस्थान में यही चर्चा है कि न खाता न बही, गहलोत कहे सो सही। असल में सचिन पायलट के हटने के बाद राजस्थान के प्रशासनिक और राजनीतिक तंत्र पर सीएम अशोक गहलोत की पकड़ मजबूत हो गई है। प्रशासनिक तंत्र को भी पता है कि अब कांग्रेस की राजनीति में गहलोत को चुनौती देने वाला कोई नहीं है। यही वजह है कि आईपीएस और आईएएस गहलोत के इशारे पर कत्थक नृत्य भी करने को तैयार है।

गहलोत प्रशासनिक तंत्र का अपनी मर्जी से इस्तेमाल कर रहे हैं। यदि सेवानिवृत्ति से ढाई माह पहले डीबी गुप्ता को मुख्य सचिव के पद से हटा दिया तो अब अगले पांच वर्ष के लिए मुख्य सूचना आयुक्त जैसा महत्वपूर्ण पद दिया जा रहा है। गुप्ता इस पद पर किस नजरिए से काम करेंगे, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। पहले सीएम गहलोत ने ही भूपेन्द्र यादव के डीजीपी के कार्यकाल में दो वर्ष की वृद्धि करवाई, लेकिन सचिन पायलट के प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से हटने और गोविंद सिंह डोटासरा के नया अध्यक्ष बनने के बाद भूपेन्द्र यादव से ही स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति का आवेदन करवा दिया। जबकि अभी यादव की सेवानिवृत्ति में 9 माह शेष थे। इसे आईपीएस का कत्थक करना ही कहा जाएगा कि यादव ने अपने आवेदन में 20 नवम्बर तक सेवानिवृत्ति मांगी थी। लेकिन इशारा मिलते ही यादव ने 37 दिन पहले 14 अक्टूबर को ही डीजीपी का पद एमएल लाठर को सौंप दिया। अब भूपेन्द्र यादव ने इतना इशारा समझा है तो उन्हें 8 माह के लिए राजस्थान लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बना दिया गया है।

यानि डीजीपी के पद पर दो वर्ष का जो सेवा विस्तार मिला था, उसका यादव को पूरा लाभ मिलेगा। हालांकि अभी केन्द्र सरकार से डीजीपी के नाम का पैनल तैयार नहीं हुआ है, लेकिन फिर भी लाठर को डीजीपी के पद का अतिरिक्त प्रभारी सौंप दिया है। चूंकि लाठर के पीछे कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा खड़े हैं, इसलिए दो वरिष्ठ आईपीएस बीएल सोनी और राजीव दासोत को पहले ही एसीबी और जेल महकमे का पुलिस महानिदेशक बना दिया। यानि कांग्रेस का संगठन पूरी तरह खुश है।

राजीव दासोत तो अगले वर्ष जून में रिटायर हो जाएंगे, लेकिन बीएल सोनी के अभी भी डीजीपी बनने की उम्मीद है, क्योंकि सोनी का रिटायरमेंट दिसम्बर 2022 में होगा। ऐसे में जब मई 21 में लाठर रिटायर होंगे तो सोनी भी करीब 20 माह के लिए डीजीपी बन सकते हैं। सूत्रों के अनुसार सीएम गहलोत की पहली च्वाइस सोनी ही थे, लेकिन संगठन को खुश करने के लिए बीएल सोनी की वरिष्ठता को नजर अंदाज कर दिया गया। हो सकता है कि सोनी के आज के त्याग की भरपाई दिसम्बर 22 के बाद भी कर दी जाए। सीएम गहलोत पहले ही कह चुके हैं कि उनकी मदद करने वालों का भुगतान वे ब्याज सहित करते है। आईएएस डीबी गुप्ता और आईपीएस भूपेन्द्र यादव यह महसूस कर रहे होंगे कि उन्हें ब्याज के तौर पर ही पद मिले हैं। 

कमाल का जादू है गहलोत का:

इसे अशोक गहलोत का जादू ही कहा जाएगा कि जो सचिन पायलट कांग्रेस को दोबारा से सत्ता में लाने का दावा करते थे, उनकी भूमिका आज कहीं भी नजर नहीं आ रही है। जादूगर गहलोत के सहयोग से गोविंद सिंह डोटासरा अकेले ही कांग्रेस का संगठन चला रहे हैं।

पायलट भले ही चुनावी वायदों को पूरा नहीं होने का दावा करें, लेकिन डोटासरा अपनी सरकार से पूरी तरह संतुष्ट हैं। गहलोत का जैसा अध्यक्ष चाहिए था, वैसा मिल गया। डोटासरा भी इतनी कम उम्र में अपनी पसंद का डीजीपी लगा रहे है, क्या यह कम बात है? चपरासी से लेकर मुख्य सचिव और पुलिस के अर्दली से लेकर डीजीपी तक को पता है न खाता न ही बही गहलोत कहे सो सही।

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