अखिल ब्रह्मांड नायक योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण की चेतावनी

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योगेश खत्री टीटीआई न्यूज़ 

मथुरा यूपी 25 मार्च 2023

करी गोपाल की सब होय, जो रच राखी नन्द नन्दन ने, मैट सके नहीं कोय। जो अपनो पुरुषार्थ माने, अति झूठौ है सोय। 

अर्थात जो बंसीवाला करता, कराता है, वही इस संसार सागर में होता है। जो उसने रच रखा है, उसे कोई मिटा नहीं सकता। कोई अगर कुछ अपने बल का किया हुआ मानता है तो वह महा झूठा है।

कहने का तात्पर्य यह है कि इस लोक - परलोक में जो कुछ होता है, वह दुनिया के मालिक यानि अखिल ब्रह्माण्ड नायक योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण की इच्छा से ही होता है। 

यह तथ्य भी तभी आत्मसात होता है, जब वह उसे आत्मसात कराता है। हम सब वही कर पाते हैं, जो वह कराते हैं। बगैर उनके किए, कुछ नहीं होता। यह अकाट्य सत्य है। करने, कराने वाले सब वही हैं, जिनकी पावन - पुनीत जन्मस्थली मथुरा है यानि कि मथुरा दुनिया के मालिक का घर है, जहां औरंगजेब जैसा शासक भी आया, जिसने तमाम मन्दिर तुड़वाए। आज उसकी कब्र की भी शायद ही किसी को खबर हो मगर भगवान का अस्तित्व आज भी सर्वत्र कायम है।

औरंगजेब को आप कलयुग का भस्मासुर भी मान सकते हैं यानी कि जिससे वरदान मिला, उसी का अस्तित्व मिटाने जो निकला। फिर क्या हुआ? ऐसा तांडव किया भोलेनाथ ने कि भस्मासुर खुद को ही भस्म कर बैठा।

अर्थात भगवान की तो बात ही दूर है भगवान के अस्तित्व का भी कोई बाल बांका नहीं कर पाया। ध्यान रहे यहां सिर्फ उनके अस्तित्व की बात हो रही है, भगवान की नहीं। भगवान का तो खैर कोई कर ही क्या सकता है? कोई सोचता भी है तो यह उसकी महा मूर्खता है, वह महा मूर्खता भी उसे भगवान से ही मिली हुई है। उसे नहीं पता कि वह जो चलायमान है, भगवान की कृपा से ही चलायमान है। 

जल, थल, आकाश, पवन पर केवल उसकी सत्ता, बिना प्रभु की इच्छा के हिल न सके इक पत्ता। अर्थात हर जगह वही हैं, उनके बगैर कहीं कुछ नहीं है। पानी में, जमीन पर, आकाश में, हवा में उसी की सत्ता है। उसकी बगैर मर्जी के एक पत्ता तक नहीं हिल सकता है। 

अब आप उस परमपिता की शक्ति का अनुमान लगाइए, नहीं लगा सकते। आपके अंदर भी तो वही है। अगर वह नहीं होता तो आप नहीं होते, हम नहीं होते। उसी ने हमको बनाया है और वही हमें चला रहा है। इसलिए उसकी सत्ता का अनुमान भी आप उतना ही लगा सकते हैं, जितना वह लगवाना चाहेगा।

हम यह सोचें कि हम कुछ कर रहे हैं तो यह हमारे बड़ा झूठा होने का प्रमाण है। यह बात संत कब से समझाते चले जा रहे हैं। लेकिन किसको कब समझ आनी है? यह भी बंसीवारे की ही कहानी है अर्थात आपको कब समझ देनी है, इसका वक्त भी उसी ने ही मुकर्रर किया हुआ है।

करे कोई अत्याचार तो भले करे क्योंकि उससे वह अत्याचार कराने वाले भी भगवान ही हैं। यह उन्हीं का विधान है। 

इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि उसके मन-मस्तिष्क में जो विचार आ रहे हैं, वह प्रभु के ही तो दिए हुए हैं, जिन्हें वह अपने समझ रहा है। हो सकता है कि प्रभु उससे अत्याचार करा कर उसे अत्याचारी बनाना चाहते हों, जिससे उसके कर्म खराब हों और फिर उसका दुष्परिणाम उसे भुगतना पड़े। कर्म के फल की प्राप्ति का प्रावधान भी तो उसी का किया हुआ है।

इसलिए कहना यह है कि आपको जो पावर मिली हुई है तो वह उसी पावर हाउस से मिली हुई है और वह पावर आपको भलाई के लिए मिली हुई है। उससे किसी का बुरा आपको नहीं करना है। अगर आप बुरा करोगे तो उसका परिणाम भी आपको ही भुगतना पड़ेगा, कोई और उसे भुगतने नहीं आएगा। इसलिए कहने वाले कह गए हैं कि जब आप पावर में हो तो ऐसा कोई कर्म मत करो कि जब आप पावर में न रहो तो उसका पछतावा आपको हो। 

अगर आपकी कोई निंदा करता है तो आप उसे अपना हितैषी मानिए। निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय। बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय। यही निंदक तो आपको अपनी गलती सुधारने के लिए प्रेरित करता है।

पावर से यदि आप किसी का बुरा करते हैं तो यह पावर के दुरुपयोग की श्रेणी में आता है। इसलिए अपनी पावर का जितना हो सके लोगों की भलाई के लिए इस्तेमाल करो और उसका फल भगवान के ऊपर छोड़ दो। वह जो करते हैं, अच्छा करते हैं। जो दूसरों का दुख दूर करता है, उसकी सारी पीड़ा वह हर लेते हैं।  प्रभु के लिखे को अगर कोई बदल सकता है तो वह प्रभु ही हैं। इसीलिए तो सच्चे श्रद्धालु भगवान से सिर्फ जाने-अनजाने हुए गुनाहों की क्षमा ही मांगते हैं। सब कुछ तो उन्होंने दे रखा है। अगर आपको कम लगता है तो आप से कम जिनको मिला है उनको देखो। भगवान ने जो कुछ दिया है वह उसी के एवज में तो दिया है, जो हमने किया है। इसलिए पावर में होने और नहीं रहने पर भी आपको सिर्फ भलाई के काम करने हैं। जब आप भलाई के काम करोगे तो आपका भी कभी बुरा नहीं होगा। लेकिन अगर आप बुरा करोगे तो फिर आपके साथ भी अच्छा नहीं होगा।

कृष्ण की चेतावनी।TTI Uttar Pradesh

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