"विधिक सेवा दिवस" के अवसर पर मेगा कैम्प एवं प्रदर्शनी का आयोजन

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राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली तथा उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मथुरा द्वारा एक मेगा कैंप एवं प्रदर्शनी का आयोजन विकास खंड, मथुरा में आज दिनांक 09 नम्बर 2022 "विधिक सेवा दिवस" के अवसर पर किया गया। इस मेगा कैम्प के मुख्य अतिथि माननीय जनपद न्यायाधीश / अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मथुरा श्री राजीव भारती रहे। मेगा कैम्प की अध्यक्षता सुश्री सोनिका वर्मा, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मथुरा द्वारा की गई। इस अवसर पर अपर जिला जज श्री हरेन्द्र प्रसाद, श्री मनोज कुमार मिश्रा, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री राकेश सिंह, अपर सिविल जज (सी.डि.) त्वरित न्यायालय श्री नीरज गौड सहित जिला मुख्य अधिकारी, जिला समाज कल्याण अधिकारी, तहसीलदार सदर, नायब तहसीलदार सदर सहित अनेक प्रशासनिक विभागों के अधिकारीगण व कर्मचारीगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि माननीय जनपद न्यायाधीश श्री राजीव भारती द्वारा माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित कर किया गया।

मेगा कैम्प व प्रदर्शनी में अनेक विभागों द्वारा अपनी-अपनी योजनाओं से सम्बंधित स्टॉल लगाई गई। जिसके अंतर्गत 62 लाभार्थियों को मेगा कैम्प में ही माननीय जनपद न्यायाधीश व अन्य न्यायिक अधिकारियों द्वारा लाभ प्रदान किया गया। मेगा कैम्प में विभिन्न विभागों द्वारा जारी योजनाओं जैसे वृद्धावस्था पेंशन योजना, राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना, गोदभराई, अन्नप्राशन, मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (कोविड-19), मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (सामान्य), मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना, घरौनी योजना सहित अन्य अनेक योजनाओं से लाभार्थियों को लाभान्वित किया गया। आयुष्मान योजना के अंतर्गत आयुष्मान कार्ड प्रदान किए गए। एन.आर.एल.एम. विकासखंड मथुरा द्वारा लाभार्थियों को श्रृण वितरण किए गए। जिला दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग द्वारा दिव्यांग व्यक्तियों को ट्राई साइकिल, वैशाखी आदि उपकरण का वितरण किया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मथुरा द्वारा अपनी स्टॉल के माध्यम से सभी लाभार्थियों को भिन्न-भिन्न प्रकार की पम्पलेट्स वितरित करते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यों से अवगत कराया गया। 

माननीय जनपद न्यायाधीश श्री राजीव भारती द्वारा नन्हे बच्चों जिनकी उम्र लगभग लगभग 4-6 माह है, को अन्नप्राशन योजना का लाभ प्रदान करते हुए अपने हाथों से इन नन्हे बच्चों को भोजन कराया गया। इसी के तहत गर्भवती महिलाओं की गोद भराई भी माननीय जनपद न्यायाधीश द्वारा महिलाओं को पोष्टिक आहार का सामान देकर की गई।

कार्यक्रम का संचालन सुश्री प्रतिभा शर्मा सदस्या स्थायी लोक अदालत, मथुरा द्वारा किया गया तथा स्थायी लोक अदालत के सम्बंध में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। समाज कल्याण अधिकारी मथुरा द्वारा समाज कल्याण विभाग द्वारा जारी विभिन्न योजनाओं पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया। 

श्री राकेश सिंह, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, मथुरा द्वारा पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT Act) के सम्बंध में बताया गया कि भारत में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए भारत की संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है। इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस एक्ट के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिए की जाँच पर पाबंदी है। ऐसे में अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले जोड़े या करने वाले डाक्टर लैब कर्मी को तीन से पाँच साल और 10 से 50 हजार जुर्माने की सजा का प्रावधान है।

सुश्री सोनिका वर्मा, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मथुरा द्वारा उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित करते हुए धारा 498ए, घरेलू हिंसा, भरणपोषण, प्री-लिटिगेशन स्तर पर वैवाहिक वादों का निस्तारण, महिला सुरक्षा हेल्प लाईन आदि पर विस्तृत रूप से बताते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की तरफ से प्रदान की जाने वाली निःशुल्क विधिक सहायता के सम्बंध में बताया। सुश्री वर्मा द्वारा कहा गया कि किसी भी प्रकार की कोई समस्या होती है तो जो पम्पलेट्स आपको वितरित किये गये हैं उनमें दिए गए टोल फ्री नम्बर पर संपर्क करें अथवा कार्यालय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में उपस्थित होकर अपनी समस्या से अवगत करायें।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय जनपद न्यायाधीश श्री राजीव भारती द्वारा अपने आशीष वचन में कहा गया कि सभी लाभार्थी बहुत ही सौभाग्यशाली हैं जो आप इन योजनाओं को प्राप्त कर रहे है। सभी से अपील की गई कि अधिक से अधिक संख्या में समस्त योजनाओं का प्रचार-प्रसार करें। जनपद न्यायाधीश श्री राजीव भारती द्वारा "विधिक सेवा दिवस" के अवसर पर बताया गया कि "राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस" मनाये जाने का उद्देश्य विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के साथ-साथ वादकारियों के अधिकारों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना है। सन् 1987 के विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम के अनुसार विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए लोक अदालतों की व्यवस्था करने और समाज के गरीब और कमजोर तबकों को मुफ्त कानूनी सेवायें प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण 'नालसा' की स्थापना की गई थी।

"कार्यक्रम के अंत में समाज कल्याण अधिकारी व तहसीलदार सदर द्वारा उपस्थित सभी अधिकारियों व जनसमूह का आभार व्यक्त किया गया।

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