जिला कारागार का किया गया आकस्मिक निरीक्षण

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उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ तथा माननीय जनपद न्यायाधीश, मथुरा श्री आशीष गर्ग के निर्देशानुसार आज दिनांक 27.10.2023 को जिला कारागार, मथुरा का आकस्मिक निरीक्षण श्रीमती नीरू शर्मा, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मथुरा द्वारा किया गया। इस अवसर पर जिला कारागार मथुरा के अधीक्षक श्री बृजेश कुमार, डिप्टी जेलर श्रीमती शिवानी यादव व श्री अनूप कुमार, चिकित्साधिकारी डॉ0 रोहिताश मीणा व उत्पल सरकार तथा बंदी पराविधिक स्वयसेवकगण आदि उपस्थित रहे।

जिला कारागार मथुरा में आज निरीक्षण दौरान कुल 1759 बंदी निरूद्ध होना पाया गया। सर्वप्रथम  सचिव द्वारा बैरक संख्या 17A व 17B का निरीक्षण किया। उक्त में सचिव द्वारा बंदियों से किसी भी प्रकार की समस्या या किसी भी प्रकार की लीगल एड की आवश्यकता के बारे में पूछा तो उक्त बैरक में एक बंदी के द्वारा निशुल्क अधिवक्ता की मांग की गई। अन्य किसी बंदी ने किसी भी तरह समस्या का न होना बताया गया। 

इसके उपरांत सचिव द्वारा बच्चा बैरक का निरीक्षण किया गया। जहां उपस्थित बंदियों द्वारा खाना वितरित किया जा रहा था। जिसमे उर्द चना व साबुत मसूर की दाल तथा मूली की भुजिया व रोटी होना पाया गया। जिसकी गुणवत्ता ठीक पाई गई।

अंत में महिला बैरक का निरीक्षण किया गया जिसमेें मरम्मत का कार्य चल रहा है। सचिव द्वारा महिला बंदियों से वार्ता की गई। दौरान वार्ता महिला बंदियों से किसी भी तरह की समस्या होने अथवा फ्री लीगल एड न होने के बारे में पूछा तो किसी भी महिला बंदी द्वारा किसी भी प्रकार की समस्या दर्ज नहीं कराई।

निरीक्षण दौरान जेल अधीक्षक द्वारा बताया गया कि जेल में निरुद्ध बंदियों के लिए यूपी कौशल विकास की तरफ से प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिसमें जेल में निरुद्ध पुरुष बंदियों को डाटा एंट्री ऑपरेटर व इलेक्ट्रीशियन तथा महिला बंदियों को सिलाई, कढ़ाई तथा बुनाई का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा हैं।

इसके अतिरिक्त निरीक्षण दौरान पाया गया कि वर्तमान में जेल में निरूद्ध बंदियों को एल०ई०डी० बल्ब बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त जेल में पोशाक बनाने का कार्य भी बंदियों द्वारा किया जाता है।

निरीक्षण दौरान उपस्थित बंदियों से निशुल्क विधिक सहायता हेतु अधिवक्ता के सम्बंध में जानकारी ली गई, बदियों द्वारा बताया गया कि सभी के पास उनके व्यक्तिगत / सरकारी अधिवक्ता मौजूद हैं। बंदियों द्वारा खाने-पीने की कोई समस्या होना नहीं बताया गया। इसके अलावा सचिव द्वारा जेल लोक अदालत के संदर्भ में बताते हुए कहा कि छोटे मुकदमों को जेल लोक अदालत के माध्यम से जुर्म इकबाल करते हुए खत्म किया जा सकता है जिसका लाभ जेल में निरूद्ध बंदियों द्वारा उठाया भी जा रहा है एवं जेल लोक अदालत में पत्रावली लगवाए जाने हेतु बंदियों को प्रेरित भी किया गया।

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