उत्तर प्रदेश : मथुरा में कोरोना के मरीजों के उपचार में जुटा एक चिकित्सक

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मथुरा 7 अगस्त 2020

 

मथुरा में एक नौजवान  चिकित्सक ने कोरोना के मरीजों के इलाज में  अपनी पूरी ताकत झौंक दी है।  इस चिकित्सक  के अंदर कोरोना वायरस की प्रकृति को समझने, निकट भविष्य में इसकी वेक्सीन आने  के बाद समाज की स्थिति का अध्ययन करने, चिकित्सा जगत में आने वाले बदलाब आदि सवालों को लेकर जबरदस्त उथल पुथल है।

शहर के अनेक निजी चिकित्सकों ने कोरोना काल में अपनी फीस पिछले दो तीन महीनों में हुए घाटे और संक्रमण के खतरे को सामने रख बढ़ा दी है जबकि इस चिकित्सक ने अपनी प्राइवेट प्रेक्टिस को बंद कर अस्पताल के मरीजों पर ही  '  total  concentrate ' करने का फैसला किया है। 

 

इस नौजवान और उत्साही  चिकित्सक का नाम डा ० सौरभ सिंघल है।  अनुभवी फिजिसियन  डा ० सौरभ ''के डी मेडिकल कालेज '' में  सीनियर  प्रोफ़ेसर हैं और पिछले ५ माह से कालेज के हॉस्पिटल में बनाये गए कोबिड सेंटर के इंचार्ज हैं। कोबिड अस्पताल में दाखिल  अब तक ३०० कोरोना  मरीजों में से लगभग २५० मरीजों की  सकुशल घर वापिसी करा चुके  डा ० सौरभ पिछले  पांच सालों से अपने व्यवहार और इलाज से अच्छी खासी लोकप्रियता हासिल कर चुके हैं , यही कारण हैं इस महामारी से चल रहे युध्द की बागडोर डा ० सौरभ को सौंपी गई हैं। अस्पताल प्रवंधन डा ० सौरभ की कप्तानी से बेहद   संतुष्ट है। 

    भारी- भरकम और तकलीफदेह पीपीई किट उतार कर  डा ० सौरभ  अपने ख़ाली वक्त में  दुनिया भर में  इस महामारी से निपटने के लिए किये जा रहे  उपायों की बारीक जानकारी इकठ्ठी कर रहे हैं। कोरोना के मरीज को किस स्टेज में कौन सी दवा कहाँ दी जा रही है  आदि  जरूरी बातों को भी वह अपने जेहन में रखे हुए हैं। डा ० सौरभ के मन में अपने कठिन काम से न कोई ऊब हैं और न थकान। ज्यादा काम के बदले डा ० सौरभ को कोई अतिरिक्त  आर्थिक लाभ नहीं मिल रहा , वह तो  मरीजों की वाहवाही में ही मगन हैं। 

  डा ० सौरभ का कहना है कि जनमानस को हम जिस गति से शिक्षित कर सकेंगे , इस महामारी का सामना हम उतने ही बेहतर तरीके से कर सकेंगे। पिछले  दिनों रक्षाबंधन और ईद के दो त्यौहार गुजरे हैं।  बंदिशों के बाबजूद लोग आपस में खूब मिले -जुले हैं।  इसके नतीजे यानि कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने का अंदेशा पैदा हो गया है। सितम्बर के अंत  में कोरोना के चरम  पर आने की बात कही जा सकती है , इसके बाद इसके नीचे आने में भी चार से छै माह का वक्त लगेगा । कोरोना आया है तो जायेगा नहीं। इसका आतंक कम होगा लेकिन  पहले से मौजूद बीमारियों में यह बीमारी जुड़ गई है। 

डा ० सौरभ ने कहा है कि यह बीमारी हमें  प्रदूषण से मुक्त आकाश में श्वांस लेकर  सफाई से रहने की कला सिखा रही है। यह कला हमें पहले से मौजूद दूसरी बीमारियों से भी निजात दिलाएगी।  कह सकते है ,आज कोरोना अभिशाप बन सुरसा जैसा मुंह फाडे खड़ी है , कल यह वरदान बनी दिखाई देगी।

डा ० सौरभ की राय है कि  मरीज अपने डाक्टर की सलाह पर बहुत यकीन करता है। ऐसे में सभी चिकित्सकों को मरीज को दवा लिखने के साथ कुछ क्षण सलाह -मशवरे में भी निकालना होगा। कोरोना से बचाव के लिए भी बार बार कहना होगा। चिकित्सकों की इस पहल पर समाज का बहुत भला होगा। 

डा ० सौरभ ने  पी जी आई  चंडीगढ़ से ऍम डी करने के बाद दिल्ली में कई प्रतिष्ठित व् आधुनिक अस्पतालों  को  अनेक वर्षों तक अपनी सेवाएं देने के बाद २०१५ से  मथुरा में तैनात हैं। डा ० सौरभ ने मथुरा के कृष्ण नगर में अपनी निजी क्लिनिक भी शुरू की थी लेकिन कोरोना के चलते अब सिर्फ अपने आप को  के डी अस्पताल तक ही सीमित कर रखा है। ख़ुशी की बात यह है कि सामाजिक चेतना से लबरेज डा ० सौरभ मथुरा में  ही पले -बढे  हैं और जीवन की लम्बी पारी ब्रज में ही खेलेंगे का इरादा रखते हैं । 

ख़ुशी की बात यह हैं मथुरा का केडी हॉस्पिटल अब कोरोना के इलाज के लिए पूरी तरह तैयार हो चुका हैं। यहाँ कोविड टेस्टिंग की मशीन के साथ प्लाज्मा डोनेट  करने की आधुनिक मशीने लग चुकी हैं। यहाँ इलाज करा चुके कोरोना मरीज अपने प्लाज्मा को ख़ुशी पूर्वक डोनेट  कर रहे हैं।

प्रोफेसर अशोक बंसल

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