तृतीय गृह एकादश गृहाधीश श्रीबालकृष्णलालजी महाराज - 7 प्रस्तुति : उमेश भाई, बड़ौदा, गुजरात.

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।।श्रीद्वारकेशो जयति।।

तृतीय गृह गौरवगान

प्रसंग:- 217

प्रस्तुति : उमेश भाई, बड़ौदा, गुजरात.

तृतीय गृह एकादश गृहाधीश श्रीबालकृष्णलालजी महाराज - 7

 

श्रीबालकृष्णलालजी द्वारा किये गये भवन-निर्माण और विकासकार्यों के विषय में कल के प्रसंग में अवगत होने के बाद, आज उनके यहाँ प्रथम पुत्र के जन्मोत्सव एवं उनके द्वारा श्रीमथुराधीश प्रभु को कांकरोली पधराकर किये गये अभूतपूर्व मनोरथ का वृत्तांत प्रस्तुत करते हैं।

 

"सं.1964 में महाराजश्री की धर्मपत्नी श्रीमती सौन्दर्यवती बहूजी के सीमन्त प्रस्ताव के लिए वैशाख वदी अमावस्या के दिन गोवर्द्धन चौक में एक विशाल मंडप का मुहूर्त किया गया। बहुत समय के बाद ऐसा अवसर आने के कारण महाराजश्री ने इस प्रस्ताव को बड़े अच्छे ढंग और शान-शौकत के साथ किया। जिसमें अधिक संख्या में जातीय बन्धु एकत्र हुए, और कई गायक कलाकारों को आमन्त्रित किया गया। कहते हैं- इस अवसर पर सूरत का प्रसिद्ध 'रजाक बैन्ड' भी बुलाया गया था। बड़े उत्साह के साथ इस प्रस्ताव के संपन्न हो जाने पर आषाढ़ कृ.6 के दिन महाराजश्री के प्रथम पुत्र का प्राकट्य हुआ। बड़ी धूमधाम के साथ उनकी छठी और बरही का प्रस्ताव हुआ और बालक का नाम 'श्रीद्वारकेशलालजी' रक्ख़ा गया। इसी वर्ष महाराजश्री ने श्रीप्रभु के शय्या-मंदिर की दिवार, छत तथा दरवाज़े आदि में काँच और उस पर चाँदी की फ्रेम का काम कराया, जिसमें 2558 तोले चाँदी लगी और 2532 रु. के लगभग खर्च हुआ।"

 

"सं.1965 में कोटास्थ प्रथम पीठाधीश्वर श्रीरणछोड़लालजी महाराज ने श्रीमथुरेशजी को बड़ी धूमधाम के साथ नाथद्वारा पधराया। अधिक से अधिक स्वरूप को श्रीनाथजी के पास पधरा कर सब प्रकार के मनोरथ करने की उनकी इच्छा थी। परन्तु श्रीनाथजी के पास श्रीमथुरेशजी, श्रीविट्ठलनाथजी, श्रीद्वारकाधीशजी और श्रीनवनीतप्रियजी ये 4 स्वरूप ही पधार सके। कार्तिक मास में नाथद्वारा में अन्नकूट के उत्सव में ये चार स्वरूप श्रीनाथजी के पास पधारे। यहाँ कोटा के तिलकायित श्रीरणछोड़लालजी महाराज ने श्रीनाथजी तथा नवनीतलालजी के यहाँ श्रीमथुरेशजी के विविध मनोरथ किये। लालबाग में भी दोनों स्वरूपों को पधराकर मनोरथ किये गये।"

 

"इस पुण्य आयोजन के बाद बालकृष्णलालजी महाराज ने रणछोड़लालजी महाराज से मथुरेशजी को द्वारकाधीश के पास कांकरोली पधराने का आग्रह किया, जिसके परिणामस्वरूप मार्गशीर्ष शु.4 के दिन मथुरेशजी सवारी के साथ कांकरोली पधारे।"

 

विस्तारभय से श्रीमथुरेशजी के कांकरोली पधारने की घटना का वर्णन आज यहीं पर अपूर्ण छोड़ते हैं, जिसे कल के प्रसंग में पूर्ण किया जायेगा। साथ ही, महाराजश्री की साहित्यिक प्रवृत्तियों पर भी कुछ दृष्टिपात करेंगें।

[08/12, 7:19 am] Shridhar Chaturvedi: बधाई.. मंगल बधाई..!!

 

आज कार्तिक(व्रज- मार्गशीर्ष) कृ.8..।

 

श्रीमत्प्रभुचरण श्रीगुसांईजी के द्वितीय पुत्ररत्न श्रीगोविन्दरायजी (श्रीराजाजी) के प्राकट्योत्सव 

(सं.1599) की हार्दिक-मंगल बधाई...!!!

 

साथ ही साथ...

 

तृतीय गृह के तृतीय तिलकायत... एवम्...राजीवलोचन श्रीबालकृष्णलालजी के पौत्र

गो. श्रीगिरिधरलालजी के प्राकट्योत्सव की... हार्दिक-मंगल बधाई...!!!

तृतीय गृह परंपरा में... आपश्री...आसोटियावाले श्रीगिरिधरजी के नाम से प्रसिद्ध हैं।

व्रजयात्रा करते हुए... मेवाड़ के महाराणा श्रीजगतसिंहजी ने...श्रीगोकुल में श्रीद्वारिकाधीश के तत्सुखात्मक सेवा-प्रकार... और...आपश्री के तेज-प्रताप-विद्वत्ता से प्रभावित होकर... आपसे श्रीअष्टाक्षर मंत्र की दीक्षा ग्रहण की... तथाच... गुरुभेट में अपने राज्य का आसोटिया गाँव भेट किया...!!!

तब से लेकर... आज तक... मेवाड़ का राजपरिवार तृतीय गृह के आचार्यों का सेवक होता आया है...और... मेवाड़ के महाराणा के राज्याभिषेक के समय उनका राजतिलक तृतीय गृह के आचार्य ही करते रहे हैं...!!!

ऐसी गौरवमंडित परंपरा के सेवक होने का हमें भी गौरव प्राप्त है...यह हमारा परम सौभाग्य है...!!!

बार-बार दंडवत् प्रणाम... आजके उत्सवनायक के चरणकमलों में...!!!

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