आज का चिंतन बिंदु जब हमारे हाथ में कुछ नहीं तो हम क्या करें?

Subscribe






Share




  • States News

आज का चिंतन- योगेश खत्री
सम्पादक टीटीआई न्यूज़ मथुरा 
चाहो तो मेरे हाथों की तलाशी ले लो, 
मेरे हाथों में लकीरों के सिवा कुछ भी नहीं।
सब कुछ भगवान के हाथ में है। हमारे हाथ में कुछ भी नहीं। हमारे हाथ में तो हमारे हाथ की लकीरें भी नहीं हैं। यह लकीरें भी बंसीवारे की खींची हुई हैं। यह बात और है कि जैसे हमारे पिछले कर्म रहे होंगे, उनके अनुसार उसके द्वारा यह लकीरें खींची गई हैं। 
अगर हमारे हाथ में कुछ नहीं तो फिर हम क्या करें? 
हम कर्म करें, कर्म अगर अच्छे न कर सकें तो बुरे भी ना करें। हो सके तो अच्छे कर्म करें क्योंकि कहा गया है कि "जैसा कर्म करेगा इंसान, वैसा फल देगा भगवान।" यह है गीता का ज्ञान।
यानी कि अगर हम फल अच्छा चाहते हैं और अपना कल अच्छा चाहते हैं तो हमें अपना आज अच्छा बनाना होगा, कर्म अच्छा करना होगा। बुरा कर्म छोड़ना होगा। बुरा छोड़े बगैर होने अच्छा होने की आस लगाना रेगिस्तान में जलस्रोत ढूंढ़ने जैसा है। अगर रेगिस्तान में जल मिल भी गया तो वह आपके पिछले किसी अच्छे कर्म के फलस्वरूप ही मिलेगा। अर्थात् लकीरें खींचना बंसीवारा जरूर है। लेकिन लकीरें खिंचती आपके कर्मों के अनुसार ही हैं यानी कि कुछ भी आपके हाथ में न होकर भी सब कुछ आपके हाथ में है। आप चाहें तो अपना अच्छा कर सकते हैं। लेकिन उसके लिए आपको अच्छा करना होगा। आप चाहें तो किसी का बुरा कर सकते हैं, जिससे आपका बुरा सुनिश्चित होगा।
यह कदापि नहीं हो सकता कि हम किसी का बुरा करें और हमारा अच्छा हो जाए। हम बुरा करेंगे तो बुरा ही भरेंगे और उसका न जाने कितने गुना भरेंगे। यह तो न्याय अधिकारी पर निर्भर है कि वह न्यूनतम सजा दे अथवा अधिकतम, जुर्माना अधिक लगाए या कि कम।
यह हो सकता है कि आप अच्छा करो और उसके बदले में आपका बहुत ज़्यादा अच्छा हो जाए। आप जो अच्छा कार्य करो, उससे आपका मूल्यांकन करने वाले परमात्मा का दिल आप पर आ जाए और वह यह सोचने लगे कि वाह आपने क्या काम किया है, परिणामस्वरूप वह आपको वह दे बैठे, जिसकी आपने कभी कल्पना भी ना की हो। उच्च पदस्थ लोगों को ऐसी ही कृपा प्राप्त समझना। लेकिन कोई भी उच्च पदस्थ यदि निम्न कार्य करता है तो फिर अपना परिणाम स्वयं निर्धारित कर ले।
देने वाला वही है, माध्यम किसी को भी बना देता है। जिसको भी माध्यम बनाता है, उसको आपके पास आना ही पड़ता है। यह बात और है कि वह आकर आपसे यह कहे कि वह आपको दे रहा है जबकि देने वाला दाता ही है। उसके अलावा कोई देने वाला नहीं है, सब लेने वाले ही हैं।
यह सच्ची कहानी है कि यह जीवन सिर्फ कर्मों की कहानी है और कुछ नहीं। कर्म की गठरी लिए फिरे इंसान, जैसी जिसकी करनी, वैसा पड़ेगा निश्चित तौर पर भरना।

Also Watch True Story बंदर ने दिया या उससे दिलवाया किसी ने धक्का, मेरी यमुना मैया ने सब देखा, सब वही देखेगी-

TTI News

Your Own Network

CONTACT : +91 9412277500


अब ख़बरें पाएं
व्हाट्सएप पर

ऐप के लिए
क्लिक करें

ख़बरें पाएं
यूट्यूब पर