ब्रज में चालीस दिवसीय होली की धमार शुरू, लाडली जी मन्दिर में गढ़ा लठामार होली का डाढ़ा

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अब गढ़ गयौ डाढ़ो कान्हा रहतु ठाड़ों। 

श्यामा श्याम की सलौनी सूरत पै श्रृंगार बसंती है।

बरसाना 18 फरवरी 2021

ललित लवंग लता परि शीलन कोमल मलय समीरे, मधुकर निकर कंरवित कोकिल कूजित कुटीरै,, के पदों के साथ मंगलवार को ब्रज की अनूठी व दिव्य प्रेम की रसभरी होली का शुभारम्भ बृषभान नन्दनी के चरणों में गुलाल अर्पित करके हो गया।

विश्व प्रसिद्ध लाडली मन्दिर में सेवायत गोस्वामीजनों द्वारा होली के प्रतीक के रूप में डाढ़ा गाढ़ा गया। बसंती फूलों के बगले में विराजमान होकर श्यामा प्यारी ने अपने श्यामसुन्दर के साथ बसंती वस्त्र धारण करके अपने भक्तों पर कृपा का सागार बरसाया। इस मौके पर प्रिया प्रियतम को बसंती छप्पन भोग भी लगाया गया। इसके बाद गोस्वामी समाज द्वारा सयुक्त रूप से होली के पदों का गुणगान करते हुए एक दूसरे को गुलाल लगाते हुए ब्रज में फागमहोत्सव की शुरुआत की।

मंगलवार को श्रीजी मंदिर बसंती रंग में रंगा नजर आ रहा था, तो वहीं श्रद्धालु भी बसंत के रंग में रंगने को आतुर हो रहे थे। कस्बे में सुबह से ही श्रद्वालुओं का हुजूम उमड़े लगा था। सभी अपनी आराध्य शक्ति राधा रानी के दर्शनों को उतावले नजर आ रहे थे।

शाम को करीब साढ़े पांच बजे लाडली जी मन्दिर में सेवायत गोस्वामीयों द्वारा राधा जी के मुकुट व चुदंरी से सजे ध्वज रूपी (डाढ़े) को गर्भ ग्रह में विधि विधान से पूजकर रोपा गया। जिसके तदोपरांत जगमोहन में बने बसंती फूल बगले में राधाकृष्ण के श्रीविग्रह को बसंती वस्त्र धारण कराकर विराजमान कर उनके श्रीचरणों में गुलाल अर्पित किया। जिसके बाद उनके समक्ष होली का डाढ़ा रोपकर उसे स्थापित किया गया।

इस दौरान संखी भाव में गोस्वामीजन कहते है कि ’’अब गढ़ गयौ है डाढ़ौ प्रिया रहत तू ठाड़ौ,, तथा ’’रितु बसंत में लसंत मूरति दोऊ बैठे निकसि निकुंज बाग, ललित गुंज मंजुल लतानि पर अलि पुंजनि की सुनि, सुनि गुनि गुनि पुनि पुनि रस को चढ़त पाग,,।  इस दौरान सेवायतो द्वारा छप्पन प्रकार के बसंती व्यंजनो से बृषभान नन्दनी व माखन चोर श्रीकृष्ण को भोग लगाया गया। इस अवसर पर पूरे मन्दिर परिसर को बसंती परिधानों से सजाया गया । भगवान श्रीकृष्ण व राधा रानी के इस अद्भुत छवि के दर्शन करके श्रद्वालु अपने आपको कृतार्थ मान रहे थे। पूरा मन्दिर परिसर राधारानी के जयघोषों से गूंज रहा था।

इसके बाद उस प्रेम भरी दिव्य होली का आगाज ब्रज मण्डल में शुरू हो जाता है। जिसका ब्रजवासी बेसब्री से सालभर इतंजार करते है। इसके बाद गोस्वामी समाज द्वारा जयदेव स्वामी के रचित मुख्य पदों के साथ संयुक्त रुप से समाज गायान प्रारम्भ हो गया। ’’विरहरत हरी रिह सरस बसंते नित्यति युवती जनेन सम संखी विरह हीय जनस बसंते, ललित लवंग लता पर शिलनकोमल मलय समीरे मधुकर निकर करवित कोकिल कुजूंत कूजं कूटीरै,, ढप मृदंग झाझ आदि वाद यंत्रों द्वारा पद का गायान किया गया।

अबीर गुलाल से गोस्वामी एक दूसरे को लगाना शुरू कर दिया। इसी के साथ श्रद्वालु भी गुलाल रूपी प्रसाद का टीका लगाकर अपने आपको धन्य मान रहे थे। वहीं ’’प्रथम समाज आज वृन्दावन ललित राज आज खेले होरी फाव रहौ मुकुट चदिं्रका ऊपर नवयुवती सब न्यारी लेले थार चली युवतीजन के अदि पदों के साथ समुहिक प्रस्तुती की। यह फाग महोत्सव चलीस दिन तक चलेगा जो ब्रज में जगह जगह होली के रूप में देखने को मिलेगा। सेवायत नत्थो गोस्वामी ने बताया कि लठ्ामार होली की प्रथम चैपाई महाशिव रात्री व द्वितीय चैपाई लड्डू होली के दिन लाडली जी मन्दिर से लेकर रंगेश्वर माहदेव तक निकाली जायेगी।

ध्वज रूपी डाढ़े को दोनो चैपाईयों में आगे लेकर चला जाता है। यहा तक की नन्दगांव की लठ्ामार होली वाले दिन बरसाना के हुरियारे इस डाढ़े को लेकर होली खेलने जाते है। ब्रज की अद्भुत लड्डू होली 22 मार्च व लठा्मार होली 23 मार्च को तथा नन्दगांव की लठ्ामार होली 24 मार्च को खेली जायेगी।

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