सच की इससे भी ज्यादा कहाँ कीमत होगी....?

Subscribe






Share




  • Jeevan Mantra

जब कभी मुझको 

गम-ए-यार से फुर्सत होगी,

मेरी गजलों में महक होगी

तरावट होगी....

 

भुखमरी, क़ैद, गरीबी,

कभी तन्हाई, घुटन,

सच की इससे भी ज्यादा

कहाँ कीमत होगी....?

 

धूप-बारिश से बचा लेगा 

बड़ा पेड़ मगर,

नन्हे पौधों को पनपने में भी 

दिक्क़त होगी....

 

बेटियों के ही तो दम से है 

ये दुनिया कायम,

कोख में इनको जो मारा तो 

क़यामत होगी....

 

आज होंठों पे मेरे 

खुल के हंसी आई है,

मुझको मालूम है 

उसको बड़ी हैरत होगी....

 

नाज़ सूरत पे, कभी धन पे, 

कभी रुतबे पर,

ख़त्म कब लोगों की 

आखिर ये जहालत होगी....

 

जुगनुओं को भी 

निगाहों में बसाए रखना,

काली रातों में 

उजालों की ज़रूरत होगी....

 

वक़्त के साथ अगर 

ढल नहीं पाईं 'श्रद्धा',

ज़िंदगी कुछ नहीं 

बस एक मुसीबत होगी....

 

 

शुभ रात्रि

जुम्मा मुबारक

शुक्रवार की सुबह मंगलमय हो।

विवेक कुमार जैन, आगरा.

TTI News

Your Own Network

CONTACT : +91 9412277500


अब ख़बरें पाएं
व्हाट्सएप पर

ऐप के लिए
क्लिक करें

ख़बरें पाएं
यूट्यूब पर