कंस वध लीला का गवाह है रंगेश्वर नाथ महादेव का ये प्राचीन मंदिर

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Rangeshwar Mahadev

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मथुरा 6 मार्च 2021

मथुरा की परिक्रमा मार्ग में स्थित रंगेश्वर नाथ का ये प्राचीन मंदिर भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं विशेषकर कंस वध का गवाह है।

कहा जाता है कि कंस ने श्री कृष्ण और बलदेव को मारने का षड्यन्त्र रचकर इस तीर्थ स्थान पर ही एक रंगशाला का निर्माण कराया।

अक्रूर के द्वारा वृंदावन से श्री कृष्ण बलदेव को लाया गया। श्रीकृष्ण और बलदेव नगर भ्रमण के बहाने ग्वाल बालों के साथ लोगों से पूछते हुए इस रंगशाला में प्रविष्ट हुए।

मुख्य प्रवेश द्वार पर मतवाला कुबलयापीड हाथी झूमते हुए इशारा पाने की प्रतीक्षा कर रहा था, जो दोनों भाईयों को मारने के लिए ही सिखाया गया था। कुबलयापीड का वध कर श्रीकृष्ण ने उसके दोनों दाँतों को उखाड़ लिया और उसके महावत और अनेक दुष्टों का संहार किया।

मल्लयुद्ध आरम्भ हो गया। श्रीकृष्ण ने चाणूर और बलरामजी ने मुष्टिक को पछाड़कर उनका वध कर दिया। इतने में कंस ने क्रोधित होकर श्री कृष्ण, बलदेव और नन्द, वासुदेव सबको बंदी बनाने के लिए आदेश दिया किन्तु श्रीकृष्ण ने कंस की चोटी पकड़कर उसे नीचे गिरा दिया तथा उसकी छाती पर कूद गए, जिससे उसके प्राण पखेरू उड़ गए।

इस प्रकार सहज ही कंस मारा गया। कंस के पूजित शंकर जी इस रंग को देखकर कृत-कृत हो गए। इसलिए उनका नाम श्री रंगेश्वर हुआ। यह स्थान आज भी कृष्ण की इस रंगमयी लीला की पताका फहरा रहा है।

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