बंसी वारे के जरिए बंसीवारा दिखा रहा अपने बच्चों को राह, जो चाहे पकड़ ले, सच्चाई/भलाई की राह, नहीं चलनी चाह।
किसी सच्चे बंसीवारे से कभी मज़े मत लेना, उसे मज़ाक मत समझ लेना, बंसी वारा मज़ाक बना कर रख देता है।
पैरोडी भजन- भवसागर में मनमोहन मांझी बन आता है, न भटके इधर-उधर प्यारा, बंसी वारा मुरली मधुर बजाता है।
पैरोडी शेर- बंसीवारे को पाना नहीं आसान, बस इतना ही समझ लीजै, एक आग का दरिया है और डूब के जाना है!
बंसीवारा मिला तो हुआ एहसास, डूबकर गाने वाले ऐसे ही नहीं गाते- "मेरा दिल तो दीवाना हो गया, मुरली वाले तेरा!"
कोई अटका हुआ है पल शायद, वक्त में पड़ गया है बल शायद, दिल अगर है तो दर्द भी होगा, इसका कोई नहीं है हल शायद
बंसीवारों को कोई क्या लुटवाएगा, बच्चों को लूटने/लुटवाने वालों को मिट्टी में मिलाने का लिए बैठा संकल्प बंसीवारा
यस, गंभीर प्रकरण को लेकर दिखा रहा गंभीरता बंसीवारा, जन्मभूमि के दृश्य देख, नहीं दिखा रहा अधीरता बंसीवारा।
हर किसी को नहीं फटकारता, फालतू नहीं बंसीवारा, जिन बच्चों को अच्छा समझता, ग़लती रोकने को उन्हें लताड़ता
फटकार से झड़ते पाप- बंसीवारा परमपिता, बंसीवारे को भी नहीं बख़्शता, ढिलाई बरतते ही लगा देता तत्काल फटकार।
बंसीवारे ने नहीं किया कभी घमंड, न मारी किसी को टक्कर, जो बंसीवारे से टकराता, बंसीवारा बना देता उसे घनचक्कर!
सत्य वचन- अच्छे दिनों में अच्छा करने से बुरे दिन व्यापते नहीं, अच्छे दिनों में बुरा किया, बुरा कोई रोक नहीं सकता।
सच्ची कहानी- आजकल जो मीडिया वाले हैं, ज़्यादातर पक्ष या विपक्ष वाले हैं, होती रहे लूट, सब मिल पीने-खाने ताले हैं
श्री कृष्ण नगरी में फंसने-फंसाने का इंतजाम चल रहा है, देखो, मेरा भारत बदल रहा है, 'सब' से आगे चल रहा है?
बंसी वारा देख रहा- देख मंद-मंद मुस्कुरा रहा, बंसीवारा बड़े ध्यान से देखता- "अपनी टीटीआई न्यूज़ की सच्ची कहानी!"
मथुरा में फंसने-फंसाने का भी ठेका- किस के जरिए महिला पुरुष को फंसाती, शिकार के पीछे फिर पूरी टीम कस जाती
सच्चा पुरोहित कहता- मेरा यजमान मुझे मुंह मांगी दक्षिणा देता है, मैं उसकी घरवाली का मंगलसूत्र क्यों लुटवाऊं?
तीन लोक से न्यारी नगरी मथुरा का चोट्टा दल बेचैन, अनेक दलों के सफेदपोश/मठाधीशों का अपना दल, क्यों बेचैन?
सीएम योगी से विधायक की मुलाक़ात से परेशान चोट्टा दल, किस बात को लेकर हलचल, किस के पेट में पड़ गया बल?
श्री कृष्ण नगरी का मगरमच्छ कौन, मथुरा के चोट्टों के पीछे लगा किसका बल, किसके इशारे पर चोट्टा रहे इतने मचल?
चुनाव जीतते ही तुड़वाई सासू मां की चेन, अब करा दिखाई
ससुराल में चोरी, मांट विधायक राजेश चौधरी के पीछे चोट्टा दल
टीटीआई न्यूज़ यूट्यूब चैनल पर जितनी भी सच्ची कहानियां हैं, देखकर लाइक करने का धर्म हर सच्चा इंसान निभाए तो
देखिए सत्य प्रबल होता है या नहीं होता है? सच्ची कहानी को देखने और लाइक करने से सत्य को संबल मिलता है।
टीटीआई न्यूज़ संकल्पित- आईना समाज का हम यूं ही दिखाते रहेंगे, मिलेंगे जैसे चेहरे, वैसे ही उन्हें दिखाते रहेंगे।
संबल मिला अगर आपका, सच को सामने लाते रहेंगे, गूंगे जनमानस की आवाज़ को चीख हम बनाते रहेंगे।
छल और कपट के हाथों बेच ईमान बेईमान ने सुनाया गाना- "बंसी वारे रे अजब तेरी माया, तेरा खेल समझ में न आया।"
किसे कर देता माफ़? जो जवानी में करते भक्ति, अशक्त होने के बावजूद करते दान-धर्म, कर देता माफ़ बंसीवारा
जानें- जो बंसी वारों को छलते, बंसी वारों से जलते, जलाता उन्हें और, जलने वालों को जला-जलाकर मारता बंसीवारा।
सत्य- जो दलबल के साथ होता, उसका नहीं होता बंसीवारा, निर्बल/निर्दल का सदैव साथी, देता प्रति क्षण साथ बंसीवारा
सच्चे भक्तों के लिए 24 ×7 रहता तैयार बंसी वारा, सबसे सच्चा, प्यारों से प्यारा, तीन लोक से न्यारा सबका बंसीवारा
माया का मतलब फोन नंबर, मिलाओ मिले नहीं मिले, बात हो नहीं हो, भक्ति का मतलब हॉटलाइन, हॉटलाइन मतलब?
नहीं जानते तो कोई बात नहीं, पूछने वाला मूर्ख नहीं कहाता हॉटलाइन का मतलब होता है- रिसीवर उठाते ही बात शुरू!
जिनका सब कुछ चांदी-सोना है, उनके लिए नहीं भक्ति, कोई खिलौना है? पास कोई और होगी, रह नहीं सकती भक्ति
बंसी वारा सुन रहा सबकी, क्या चाहिए? माया, ले जाओ। तुम्हें? संतान, मिल जाएगी। और तुम्हें? भक्ति, झेल पाओगे?
बंसीवारा सबको सब कुछ बड़े प्रेम से दे देता, भक्ति का नाम आते ही रुक जाता, शुरू कर देता परीक्षा पर परीक्षा, यस!
परीक्षा हर कड़ी से कड़ी लेता है लेकिन अगर भक्त सच्चा हो तो उसे असफल भी नहीं होने देता है, देता शक्ति रुपी भक्ति
पग घुंघरू बांध मीरा नाची थी और बंसी वारे ने बगैर घुंघरु नाच दिखाया, नाचता खुद बंसीवारा, किसको नज़र आया?
पैरोडी- पराई नार से पराए धन का हरण बुरी आदत है, ये आदत अभी बदल डालो, ये आदत वो आदत है, इक दिन घर फूंके
गीत- आपका तो लगता है बस यही सपना, राम-राम जपना पराया माल अपना, वतन का खाया नमक तो नमक हलाल बनो
मथुरा-वृन्दावन में गले में डली झोली में माला डालकर चलने वाले सभी भक्त नहीं होते, ऐसे ही कुछ लुटेरे भी चल रहे हैं!
आजकल के चेलों की सच्ची कहानी- गुरु-गुरु कर आते, पैर छूते, गुरु को पलट, गुरु की गद्दी पर बैठ, खुद गुरु बन जाते!
लूटने/लुटवाने वालों के लिए गा रहा बंसीवारा- "वादियां मेरा दामन, रास्ते मेरी बांहें, जाओ मेरे सिवा तुम कहां जाओगे?"
सेवा- कॉल लेटर किसी के नाम का हो, मार्ग में कोई झपट ले तो उसे उस लेटर से सेवा का अधिकार नहीं मिलता है।
सच्ची कहानी- अमृत जिनके भाग्य का होता है, उन्हीं को मिलता है, कोई छल से पी ले तो सर धड़ से अलग होता है।
अपने हृदय के हर प्यारे से कहता सिर्फ यही हर बार अखिल ब्रह्मांड नायक बंसीवारा- "ज़िंदगी में कभी घमंड मत करना!"
श्री कृष्ण नगरी मथुरा से चल रही बंसी वारे की अद्भुत और अविश्वसनीय सच्ची कहानी, बंसीवारा कहता अपनी ज़ुबानी
देशवासी कर रहे यह विचार- सरकारों ने लोगों को लूटा और लुटवाया, जनता का पैसा अपनी शान-ओ-शौकत पर उड़ाया
ग़रीब खाते गोल्ड मोहर रूपी ज़हर, उस ज़हर पर भी देखो श्री कृष्ण नगरी मथुरा में हो रही जबरदस्त काला बाज़ारी!
₹1 की गोल्ड मोहर 5 की हुई, तीन दिन में कालाबाजारी की स्थिति- 8 की बिक रही, कौन ले गया डीलर से इतना माल?
अंग्रेजों के जाने के बाद मस्ती में डूबे देशवासियों को चलने लगा पता कि अंग्रेजों से ज्यादा तो उन्हें अब लूटा जा रहा है
बंसीवारा किसी को राजा इसलिए नहीं बनाता कि राज्य का सारा खाद्य और रसद अपने पास मंगा ले और रेवड़ियां बांटे
सच्ची कहानी पर बंसी वारे का पूर्ण विश्वास, राजा हो या रंक, सबको मिलेगा नियमानुसार दंड, नहीं मिलेगी माफ़ी
सच्ची कहानी- जिस-जिस ने बंसी वारों को लूटा/लुटवाया, बंसीवारा उनको अति भयंकर तरीके से लूटेगा/लुटवाएगा!
भक्तन की मुक्ति, लुटेरन की नॉंय- मुक्ति कहै गोपाल सौं- मेरी मुक्ति बताय? ब्रज रज उर मस्तक लगै, मुक्ति मुक्त है जाय।
अखिल ब्रह्मांड नायक योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा बंसीवारे की राजधानी, मुक्ति भी यहॉं भरती पानी!
सेटेलाइट चैनल मलिक ने बंसीवारे को बुलाया- राजधानी से चैनल चला मेरे भाया, बंसीवारे ने कहा- मेरी मथुरा राजधानी
ताज़ा सच्ची कहानी- देश-दुनिया ही नहीं अखिल ब्रह्मांड का सब खेल मथुरा से है, सबसे बड़ा खिलाड़ी मथुरा का जो है।
सरस भोगा गया सत्य- सच्चे संत अपने मन में किसी बात का सिर्फ विचार भी कर लेते हैं तो वह होकर ही रहती है।
जो भरा नहीं है भावों से, जिसमें बहती रसधार नहीं, वह हृदय नहीं पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं- राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त
बंसी वारा करता हर बंसी वारे का मूल्यांकन- "बता तू कौन सा फूल है?" कुछ महक भी है या सिर्फ़ कागज़ का फूल है?
फूल कई प्रकार के होते हैं और फूल-फूल में अंतर होता है, फूल का अर्थ पुष्प है, मगर फूल का अर्थ मूर्ख भी होता है!
ज़िंदगी के कुछ उसूल बना लो, फिर भले मार्ग में खड़े शूल हों, आप उनसे ऐसे निकल जाओगे, जैसे रास्ते में बिखरे फूल हों।
उसूल कौन से बनाए जाएं? चाहो तो बना लो, बने बनाए भी उपलब्ध- "अच्छे उसूल अपनाओ, ज़िंदगी सफल बनाओ।"
सबसे पहले सत्य को उसूल बनाओ, सत्य होगा, तभी दूसरा उसूल आएगा, ऐसे ही तीसरा और अन्य उसूल आ जाएंगे।
दूसरा उसूल यह बना लो कि मुझे सत्य से कोई डिगाएगा, तब भी मैं डिगूंगा नहीं, ऐसे ही ईमानदारी उसूल बना लो।
ज़िंदगी के अच्छे उसूल बनाने ही पड़ते हैं, जीवन के फूल बन जाते हैं उसूल और ज़िंदगी को महकाकर रख देते हैं।
जीवन एक कैलेंडर, आने की ही नहीं, जाने भी की तिथि तय, ग्रह-नक्षत्र, तिथि-वार, त्योहार सब कुछ पूर्व निर्धारित
काटने वाला भी वही है, कटवाने वाला भी वही है, ज्ञानी सब जानते, सबका मालिक एक, जग का मालिक एक- बंसीवारा
"करी गोपाल" की सब होय, जो रच राखी नंद नंदन नै, मैट सकै नहीं कोय, जो अपनौ पुरुषारथ मानै अति झूठौ है सोय
अर्थात् "जो प्रभु ने रच रखा है, वही होता है, अगर कोई अपना पुरुषार्थ मानता है तो वह बहुत बड़ा झूठा है।"
जवाहर बाग़ में जमे रामवृक्ष ने वृक्ष पर बंसी वारे का फोटो लगा रखा इनाम, तत्कालीन डीएम राजेश कुमार ने बताया
करने/कराने वाला सब बंसीवारा, कंस वारे बंसी वारे के पीछे पड़ जाते, ज़िंदा या मुर्दा पकड़कर लाने पर 1 लाख इनाम
रामवृक्ष यादव के ऊपर भी सरकार के असरदार का ही हाथ बताया गया था, आखिरकार सरकार को उसे उखाड़ना पड़ा
समझाने पर रामवृक्ष ने भी बंसी वारे को धमकाया था- "हम मरने आए हैं, बच्चों को रखाओ!" फिर जो हुआ, सबको पता
भारत के सफ़ेदपोश लुटेरों ने बना ली अपनी यह परिपाटी, मोटा लूटो, छोटा बांटो, बांटने के पुण्य से पापों से छुटकारा?
पाप के पैसे का कैसा पुण्य, सारे पुण्य नष्ट, पाप के पैसे से पुण्य करने की बंसीवारा बना रहा अलग धारा, अलग दंड
सच्ची कहानी- जो किसी भी बंसी वारे का किसी भी तरह से करते नुकसान, बंसीवारा उनका करता अपूर्णीय नुकसान।
बंसीवारा करता सच्चा न्याय- पापियों के कर दिए सारे पुण्य नष्ट, नहीं मिलेगा कोई अच्छा जन्म, पाप ही पाप होंगे भरने!
हाथ पैरों में जकड़ी जंजीरों और गले में बंधे तख्तों में फंसे मनोज कुमार और दिलीप कुमार जैसी बंसीवारे की कहानी
अपनों से नाता जोड़ेगा, गैरों के सर को फोड़ेगा, अपना ये वचन निभाएगा, माटी का क़र्ज़ चुकाएगा, आज़ाद वतन कर जाएगा।
बंसीवारा गा रहा- मेरा चना है अपनी मर्जी का, मर्जी का भई मर्जी का, यह दुश्मन है खुदगर्जी का गर्जी का भई गर्जी का।
बंसीवारा बंसी वाले से चलवा रहा अपनी पिक्चर, कोने में बैठकर देख रहे फटीचर, फटी+चर, फटी हुई पर रहे चर?
अकाट्य सत्य- सफेदपोश ठेकेदार गर हत्यारे, तो हत्यारों का हत्यारा बंसीवारा, भ्रष्ट सरकारों के लिए महा काल बंसीवारा
बंसी वारे के सामने कोई ठेकेदार नहीं है, बंसी वारे के सामने कोई सरकार नहीं है, हराम की खाने वाले सिर्फ हरामजादे!
आओ-आओ हराम की खाने वालों आओ, मैं तुम्हारे लिए ही बैठा हूं, लूटने और लुटवाने वालों से ऐसे पेश आता बंसीवारा
बंसीवारों को लूटने/लुटवाने वालों को नोंच-नोंचकर मारता, दर आने वाले को तर कर देता, लुटेरे को नहीं कोई छूट देता!
टिट फॉर टेट बंसीवारा- सीधे के लिए सीधा, टेढ़े के लिए महा टेढ़ा बंसीवारा, बंसीवारे की किसी से कोई चाह नहीं
जिस बच्चे का माता-पिता को ख्याल रखना होता, उसी का रखते, जिसका नहीं रखना होता, उसे मनमानी करने देते।
सत्य- प्रारब्ध प्राणी को पाप की ओर खींचने की पुरजोर कोशिश करता, अच्छे कर्म कर इंसान उससे बच सकता।
जब तक चाहता बंसी वारा, किसी को कोई मार नहीं पाता, जब और जिस दिन नहीं चाहता, तत्क्षण वह रह नहीं पाता।
अभी देख रहे हैं, किसी के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है, कुछ हो जाने दीजिए, राजनीतिक रोटियां सेंकने के समय आएंगे!
जवाहर बाग़ आंदोलन के दौरान आज की सत्तारूढ़ पार्टी के किसी नेता का कुछ अता-पता नहीं था, आग लगते ही क्या हुआ?
सारा गोदी मीडिया, कितनी ओबी वैन बुला लीं, देने लगे धुंआ, किसी के प्यार की माला टूटी, हाथ उनके सरकार आई
जो सोच रहे उन पर नहीं किसी की नज़र, उनको क्या ख़बर उन पर सबसे बड़ी नज़र, हर हिस्से और हिस्सेदार की ख़बर
बंसी वारा गिरवाता-बनवाता सरकारें, बंसी वारे ने किसी के घर नहीं झांके, ना किसी के रहम-ओ-करम पर खाए फांके!
मथुरा के लूट मार के ठेके के बारे में देश-दुनिया का बच्चा-बच्चा जानता, ठेकेदार और सरकार नहीं मानती, अर्थात्-
भोगा गया सत्य- कभी किसी को नहीं छेड़ता बंसीवारा, किसी ने बंसीवारे को छेड़ा तो किसी भाव नहीं छोड़ता बंसीवारा
मथुरा के सफेदपोश सिर्फ 'लूटमार' के सगे, ना अपनी पार्टी, न यार, ना सरकार के सगे, दगाबाजों को मिलने दगे ही दगे।
अखिल ब्रह्मांड नायक की पावन भूमि/उसके भक्तों पर जो दांत गढ़ा बैठे, बंसीवारा बेसब्री से कर रहा उनकी प्रतीक्षा!
बंसी वारा भी लगा कर बैठा टकटकी, देख रहा लूटमार और सरकार वाले कब तक मेरे बंसी वारे को ठिकाने लगाते हैं?
लूट मार के ठेकेदारों और सरकारों की सरदारी का गई अनगिनत चैनल, बंसीवारा मांगेगा हर्जाना, दे नहीं पाएंगे!
सत्य- जो दूसरों की राहों में फूल बिछाता है, उसकी राहों में कोई कांटे बिछाता है तो बंसीवारा उन्हें फूलों में बदल देता है।
लो जान- मनुष्य योनि बड़ी तपस्याओं से मिलती, मथुरा का टिकट और बड़ी तपस्या से मिलता, क्या कर रहे प्रभु के घर?
बंसीवारे का पारिश्रमिक धर, लूटने/लुटवाने वालों से जुड़ तुड़वाया चेन, नहीं चल रहा चैनल, बंसीवारे का दोष?
तपस्वियों का आशीर्वाद, ऐसे ही नहीं मिलता, आशीर्वाद भी क़िस्मत से मिलता, बंसीवारा भाग्य में लिखता, तब मिलता।
मथुरा में बैठे कैसे-कैसे संत और तपस्वी जानता कोई-कोई, मस्तिष्क में जो सोच लें, होगा वही, नहीं टाल सकता कोई।
आज के समाचार माध्यमों को माध्यम मत समझना, अच्छा! फिर क्या समझें? बिकाऊ माल समझना, माल किसे कहते?
अब यह ना ले पूछ, यही सोच रहा था बंसीवारा, बंसी वारे ने वही लिया पूछ, कुछ माल, माल खींचने के लिए भी होते हैं।
मथुरा में हर धर्म-जाति-संप्रदाय के ज्यादातर लोग भले हैं, श्रद्धालु भी भले ही आते हैं, जिनमें मगरमच्छ घुस जाते हैं।
ओ माय गॉड, बंसी वारे के मुख से निकला, बंसीवारा दिखा रहा चेन स्नेचिंग के पीछे सफ़ेदपोशों की कितनी लंबी चेन?
"हिंदुओं" को डराने की नहीं, उनमें साहस भरने की जरूरत, डरे हुए तो बेचारे पहले से ही हैं, साहसी बनाने की जरूरत।
बाल छतरी उड़ने का मतलब- सर से साए का उठना, जिसे होता क्रिया-कर्म का शौक़, घर में ही पूरा करा देता बंसीवारा
मेरा शेर- हॉं, मालिक जब पट्ठे के कंधे पर हाथ रखकर टहलता है, पट्ठे की हिम्मत कितनी बढ़ जाती है, मलिक समझता है!
बंसीवारे ने सुना था, बंसीवारा जिसके साथ होता, काल भी उसे माल खिलाता और कहता- "मलिक का मालिक कौन?"
मलिक का मालिक कोई नहीं होता, मालिक की मालकिन होती है, बंसी वारे की मालकिन कौन, नहीं जानते? श्री राधे!
आज फिर किसी ने बंसी वारे के लिए मारण क्रिया की होगी, मामूली सी खरोंच देकर करा रहा इसका एहसास बंसीवारा।
पैरोडी गीत- बंसी वारे के गीतों में मथुरा की कहानियां हैं, कलियों का बचपन है और फूलों की जवानियां हैं (हैं? यस!)
ये ज़मीं गा रही है, ये आस्मां गा रहा है, साथ बंसी वारे के बंसीवारा गा रहा है, जब सबको ये विश्वास आ रहा है तो?
गाओ- हम हैं राही प्यार के, चलना अपना काम, पल भर में हो जाएगी हर मुश्किल आसान, हौसला ना हारेंगे, हम तो बाजी मारेंगे!
मठाधीशों का मठाधीश बंसीवारा, कप्तानों का कप्तान बंसीवारा तब सुनता, जब सुनती आल्हादिनी शक्ति श्री राधे!
अलबेली सरकार से सब सरकारें, सब सरकारों से नहीं अलबेली सरकार, सरकारों की सरकार- अलबेली सरकार
अलबेली सरकार कौन, नहीं पता? राधे अलबेली सरकार! जपे जा राधे-राधे, तैनै राधे नाम न गायो, फिर कृष्ण कहां से आयो?
चेन स्नैचर्स गिरोह ठेकेदार और उसकी संरक्षक सरकारों, रोको, जितना जी चाहे, रोको, अगर रोक सको तो रोको-
ऐसा करतब बंसी वारा ही दिखा सकता है, स्टंप घुमाकर फेंके और स्टंप बुर्जी पर टिक जाए, यमुना मैया को न लगे?
यमुना किनारे के राजेश ने जैसे ही उछाला स्टंप, लुटेरे ले गए जंप, ऐसे ही किसी ने उठा ली हॉकी, नहीं बचा पाएगी चौकी
यह चौकियां-यह थाने जनता के लिए बेगाने, लुटेरों के लिए नाच-गाने, लुटेरों को कोई घेरे तो बचाने आए पूरी चौकी?
जनता चौंकी- बंसी वारे की चेन टूटने के बाद पूर्व कप्तान खुलवा गए मन्दिर के नीचे चौकी, आज तक किसे पकड़ा?
मथुरा छुड़वाने/मारने/मरवाने के किए कितने प्रयास, नहीं हुए सफल तो समझ लो- बैकफायर कभी भी हो सकता है।
पैरोडी शेर- मुझको मिटा सको तो मिटा दो बसद खुशी, लेकिन कभी-कभी मैं बहुत याद आऊंगा। (खुशी के साथ)
हमारे न जाने कितने जन्मों के पुण्य उदय हुए होंगे, तब हरि ने हमें अपने घर में रखा होगा, हम कर रहे हरि से दगा?
लुटेरे और लुटेरनियों समझें अभी तो मथुरा मिला है, उनसे जो कराया जा रहा है, उससे आगे उन्हें नर्क भी नहीं मिलेगा
आज का पैरोडी बब्बर शेर- चांदनी रात में ठेकेदार सरकार के घर में कूदेंगे, खुद तो डूब ही रहे, सरकार को और ले डूबेंगे।
आज का शेर- जो बंसी वारे को मरवाने चले थे, घुट-घुट कर जी रहे हैं, कहना बहुत चाहते थे, सुनता कोई नहीं, होंठ सी रहे हैं।
कामवाली रानी का स्वर- मोय बंदर खाय गए, इतनौ बंदर है, कितनौ बंदर है, निगम वारे पकड़ो अभियान कौऊ खाए गए
दशकों में मिली सत्ता का नतीजा, जनता को बुरी तरह लूटने पर आमादा भाजपा, 204 की जगह साढ़े तेरह हज़ार टैक्स
कितना अविश्वसनीय मगर पूर्ण सत्य कि राम के नाम पर आई सरकारें आज मन्दिरों में कृष्ण भक्तों को लुटवा रही हैं
देश और प्रदेश में कुछ होता नहीं है, सब कुछ सत्ता के भूखे भेड़ियों द्वारा कराया जाता है, 6 दिसम्बर का नाटक पूर्ण!
वह अपना हक़ समझते हैं निवाला छीन लेने को, डकैती को बहुत सारे लोग मजदूरी समझते हैं। (ठेकेदार/सरकार)
आम जनता की पसीने की कमाई को लुटवाकर जो राजा/महाराजा बने फिर रहे, उनको लूटने का ठेका बंसी वारे का।
जिस-जिस ने हड़पी होगी बंसी वारों की संपत्ति, भले-चंगे दिख भले लें मगर उनको घेरे होंगी अवश्य घनघोर विपत्ति।
मथुरा के सफेदपोशों ने लूटमार, जुआ-सट्टा, ब्लैकमेलिंग और नशाखोरी से बनाई अकूत संपत्ति, चलवाया बुलडोजर?
लूट-हत्या-डकैती-ब्लैकमेलिंग-बलात्कार, सत्ता के हथियार, पहले कब होता था ऐसे, भाईयों से तो बहनजी अच्छी थीं?
कोई भी सच्चा धर्म परायण अधर्मी का कभी नहीं कर सकता समर्थन, भले साथ न दिखे, मन ही मन करता प्रार्थना।
लालच में आकर जो अपने फ़र्ज़ से दगा करते, उनसे कभी सटा नहीं होता बंसीवारा, कदम-कदम पर बिखेर देता दगा।
बंसी वारे की चेन टूटना मामूली घटना नहीं थी, बंसी वारा जानता था, लुटेरों की बांध दी थी नज़र, कैमरा नहीं दिया दिखाई!
अपने यारों से हम तो कहते हैं, अपने प्यारों से हम तो कहते हैं- "हुनर जीने का हमसे सीखो, हम बुजुर्गों में बैठे बहुत हैं।"
कंस नगरी का ठेकेदार ऐसा हो सकता है, हर कोई सोच सकता है, सरकार ऐसी हो सकती है, किसी ने नहीं सोचा होगा।
अंतर्मन में भक्तों का गुबार भरा, फिर भी बंसी वारा कर रहा किसका स्वागत- "आईए, आप का ही हमको इंतजार था!"
न पूछो ठेकेदार और सरकारों ने कराए कुत्सित प्रयास क्या-क्या, सहज न कर पाए कोई भरोसा, कराए कुकृत्य ऐसे-ऐसे
कितना अविश्वसनीय लगता है मगर है 100 फीसदी सत्य- धर्म परायण सरकार के राज्य में मन्दिरों में लूट का ठेका?
बेहद शर्मनाक- सवा दो साल से चल रही चेन स्नेचिंग की सच्ची कहानी, ठेकेदार और सरकारें अब तक शर्मसार नहीं
न गड्ढा मुक्त साफ-सुथरी सड़कें, न कोई यातायात व्यवस्था, मथुरा में लूटने/लुटवाने, मारने/मरवाने की प्रत्येक व्यवस्था?
भारत में छाया घनघोर भ्रष्टाचार, समाज के सारे प्रहरी दिख रहे लिप्त, कौंधता सवाल- "मेरे देश का भविष्य क्या होगा?"
यातायात वसूली का भी चल रहा मथुरा में ठेका, नगर निगम से कट रहे वाहन चालान, रोज़ कट रहे करीब 2000 चालान
ओ बंसी वारे तुझे बंसी वारा क्या-क्या बता देता है? मत पूछ क्या-क्या दिखा देता है, खेलने वालों से खेलता दिखा देता है-
डरो- जो डरे, उसे डराना, बंसी वारे के पास मत आना, वरना डरते-डरते पड़ेगा जाना, बंसीवारा मिलेगा लेकर प्लग-पाना!
लूटने/लुटवाने वालों ने अब तक हज़ारों/लाखों नहीं कम से कम करोड़ों लोगों को लुटवाया होगा, अब तक पेट नहीं भरा
गुरु से कपट, मित्र से चोरी- जो गुरू से कपट और मित्र से दगा करता है, उसे बंसी वारा कभी सगा नहीं करता है।
जो भी अपने दायित्व का सत्य-निष्ठा और पूरी ईमानदारी से करता निर्वहन, उसका हर भार बंसीवारा स्वयं करता वहन!
पश्चाताप करना होगा, प्रायश्चित करना होगा, तब देखना होगा, माफ़ करता या नहीं बंसीवारा, प्रयास कर देखना होगा।
लूटने और लुटवाने वालों ने ठेके की आड़ में न पूछो, किए अपराध क्या-क्या, कहीं ये ज़मीं-आस्मॉं हिल न जाए?
टैक्स या चौथ वसूली? मथुरा-वृन्दावन नगर निगम से नहीं हो पा रही जलापूर्ति, सफाई भी होती नहीं, किसका टैक्स?
जन-जन को लेना होगा संकल्प- "किसी श्रद्धालु को अपने सामने नहीं देंगे लुटने, लुटेरों के आगे नहीं देंगे झुकने घुटने!"
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